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उतरकाशी : मानव के अस्तित्व की कल्पना सामंजस्य के बिना संभव ही नहीं है

उतरकाशी : मानव के अस्तित्व की कल्पना सामंजस्य के बिना संभव ही नहीं है

राजेन्द्र सिंह रावत राजकीय महाविद्यालय बड़कोट के भौतिक विज्ञान विभाग द्वारा भारतीय भौतिक विज्ञान शिक्षक परिषद् उत्तराखण्ड (IAPT RC-5) के सहयोग से आयोजित ‘विश्व अंतरिक्ष सप्ताह’ के द्वितीय दिवस पर मुख्य वक्ता के रूप में Divisional Forest Officer बड़कोट, रवींद्र पुंडीर सम्मिलित हुए. 

अपने बहुआयामी वक्तव्य में उन्होंने महाविद्यालय के विद्यार्थियों से सहज भाषा में जलवायु परिवर्तन तथा वन्य जीव संरक्षण को समाहित दृष्टि से समझाने का प्रयास किया. विभाग द्वारा प्रयुक्त की जा रही विभिन्न तकनीकों तथा संभावनाओं पर भी विस्तृत चर्चा हुई. मानव के अस्तित्व की कल्पना सामंजस्य के बिना संभव ही नहीं है, इस विषय को प्रासंगिक उदाहरणों के माध्यम से बहुत स्वाभाविक ढंग से प्रस्तुत किया गया.

अपने क्षेत्र विशेष से सम्बंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियों के साथ ही विद्यार्थियों के समक्ष शिक्षा के विभिन्न पहलुओं को भी रखा गया. किस प्रकार मनुष्य सिर्फ दोहन की मानसिकता के साथ कई निर्दोष पादप तथा जीव-प्रजातियों को लगातार नुकसान पहुंचाता जा रहा है, यह प्रश्न चर्चा का केंद्र रहा. साथ ही इस विषय पर भी सहमातिपूर्वक चर्चा हुई की जलवायु-परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दों से निपटने के तरीके बहुत जटिल न होकर व्यक्तिगत भावना और अनुशासन से ही संभव होंगे.

वक्तव्य के अंत में पुंडीर जी ने बच्चों के कैरिअर और उसके लिए जरूरी आवश्यकताओं पर विस्तृत चर्चा की. इस रोचक व्याख्यान के लिए विज्ञान संकाय के समस्त प्राध्यापकों तथा प्राचार्य जी ने मुख्य वक्ता को स्मृति-चिह्न भेंट कर धन्यवाद दिया. इस अवसर पर सभी संकायों के विद्यार्थी, प्राध्यापक तथा कर्मचारीगण उपस्थित रहे.

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