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उत्तराखंड: जंगलों में आग के लिए छोटे कर्मचारियों पर एक्शन, बड़े अधिकारियों पर क्यों नहीं?

देहरादून: उत्तराखंड के जंगल इन दिनों धूं-धूं कर जल रहे हैं। गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक हर तरफ बस धुआं ही धुआं नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जंगलों की आग की समीक्षा के बाद लगातार अधिकारियों को गंभीरता रखने के निर्देश दिए। अधिकारियों ने उनके निर्देशों का पालन खुद भले ही ना किया हो, लेकिन कर्मचारियों को सस्पेंड करने की कार्रवाई जरूर की गई।

 

एक लिस्ट जारी की गई है, जिसमें 17 कर्मचारी और अधिकारियों के नाम है। इनमें ज्यादातर को निलंबित किया गया है। जिनको निलंबित किया गया है, उनमें वन दरोगा, वन आरक्षी और वाहन चालक तक शामिल हैं। जबकि रेंज अधिकारी स्तर के अधिकारियों को सस्पेंड करने के बजाय उनको कारण बताओ नोटिस दिया गया है।

 

इस कार्रवाई परब सवाल उठने शुरू हो गए हैं। सवाल यह है कि छोटे कर्मचारियों को टारगेट कर उनके खिलाफ ही कार्रवाई क्यों की गई? जंगलों आग लगने के लिए जितने जिम्मेदार छोटे कर्मचारी हैं, उतने ही बड़े अधिकारी भी उतने ही जिम्मेदार है। जिनको जंगलों के संरक्षण की जिम्मेदारी दी गई है।

 

जंगल में आग लगने की किसी भी घटना के लिए ना तो किसी डीएफओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और ना मुख्यालय में तैनात किन्हीं अधिकारियों से जवाब तलब किए गए हैं। जब मुख्यमंत्री पहले ही बड़े अधिकारियों को फील्ड में जाकर रिपोर्ट करने के निर्देश दे चुके थे, तो बड़े अधिकारी जिम्मेदार क्यों नहीं?

 

सवाल यह भी खड़े हो रहे हैं कि जंगलों की आग को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद मोर्चा संभाले हुए हैं। लेकिन, वन मंत्री कहीं भी एक्शन में नजर नहीं आ रहे हैं। जंगल बचाने की जितनी जिम्मेदारी छोटे कर्मचारियों की है। उतनी ही जिम्मेदारी वन मंत्री और बड़े अधिकारियों की भी है।

 

उत्तराखंड: जंगलों में आग के लिए छोटे कर्मचारियों पर एक्शन, बड़े अधिकारियों पर क्यों नहीं?

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