उत्तरकाशी: पेयजल पंपिग योजना आंदोलन से किसे है दिक्कत, कहां फंस रहा मामला?
बड़कोट: बड़कोट पेयजल पंपिंग योजना को लेकर आंदोलन को 50 दिन पूरे होने वाले हैं। आंदोलन में किसी एक दल के नहीं, बल्कि सभी राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता बैठे हैं। सामाजिक संगठनों के लोग इसमें शामिल हैं। महिलाएं लगातार अपनी भूमिका निभा रही हैं। विधायक और पूर्व विधायकों से कई बार बात हो चुकी है। कल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की।
सरकारी खबर के अनुसार मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिया है। लेकिन, आंदोलनरत लोग सीएम के मौखिक भरोसे को मामने को तैयार नहीं हैं। वरिष्ठ पत्रकार सुनील थपलियाल का कहना है कि आंदोलन तक तक जारी रहेगा, जबकि मांगों को पूरा करने का लिखित आश्वासन नहीं मिल जाता है। सवाल यह है कि आखिर बड़कोट पेयजल पंपिंग योजना से किसको दिक्कत है?
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अब तक जो समझ आ रहा है, उससे एक बात तो साफ है कि योजना की स्वीकृति में कुछ अपने ही अड़चनें डाल रहे हैं। जनता के आंदोलन का श्रेय नेता लेना चाहते हैं। लेकिन, सवाल यह है कि नेताओ को इसमें क्या योगदान है। कहीं ना कहीं बड़कोट पेयजल पंपिंग योजना श्रेय के चक्कर में फंसती हुई नजर आ रही है।
एक तरफ नगर पालिका चुनाव की तैयारी कर रहे नेता हैं। उनमें भाजपा-कांग्रेस देनों के ही नेता शामिल हैं। दूसरी तरफ निर्दलीय विधायक और पुरोला विधायक इस ताक में हैं कि वो किसी तरह से योजना स्वीकृत करने के लिए मुख्यमंत्री को राजी कर लें और पूरा श्रेय उनको मिल जाए। जैसा सूचना विभाग की ओर से जारी प्रैस नोट में साफ हो भी गया है कि प्रतिनिधिमंडल उनके नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मिलने गया था।
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निर्दलीय विधायक पहले ही इस बात को कह चुके हैं कि उनके प्रयासों से ही मुख्यमंत्री इस दिशा में सकारात्मक कार्रवाई कर रहे हैं। भाजपा प्रदेश संगठन के नेताओं की भूमिका पर भी आंदोलनरत आंदोनकारियों ने सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि हर किसी को श्रेय लेना है।
अब सवाल यह उठता है कि पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रही जनता की समस्या को कौन समझेगा? वह चाहे मुख्यमंत्री हों, विधायक हों या फिर कोई दूसरा नेता, जनता की जरूरत वोट के लिए सभी को पड़ती है। इस पूरे मामले में जिला पंचायत अध्यक्ष और पूर्व विधायक केदार सिंह रावत की भूमिका साफ नजर आई। दोनों ही नेताओं ने पेयजल पंपिंग योजना के लिए हर तरह से सहमति जाहिर की।
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पूर्व विधायक केदार सिंह रावत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में भी शामिल रहे, जो सरकार प्रैस नोट के अनुसार पुरोला विधायक के नेतृत्व में गया था। बड़ा सवाल अब यही है कि इतना सबकुछ होने के बाद भी पीने का पानी कहां से मिलेगा? क्या पेयजल पंपिंग योजना स्वीकृत होगी भी या नहीं?