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Tue. May 21st, 2024

देहरादून: उत्तराखंड में नए जिलों के गठन को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा बयान दिया है। प्रदेश में नए जिले बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। सीएम धामी ने इस मांग पर सभी जनप्रतिनिधियों से बात की जाएगी और इस दिशा में चर्चा करके आगे बढ़ा जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि, नई जिलों की मांग काफी लंबे समय से चली आ रही है। सरकार शीघ्र ही इस पर विचार करेगी कि, प्रदेश में कहां-कहां पुनर्गठन हो सकता है और वास्तव में कहां नए जिले की आवश्यकता है, इस बारे में सभी जनप्रतिनिधियों से बात की जाएगी। इसके बाद इस दिशा में चर्चा करके आगे बढ़ा जाएगा।

करीब दो दशक पहले उत्तर प्रदेश के पहाड़ी हिस्सों को अलग करके बने उत्तराखंड में फिलहाल 13 जिले हैं। साल 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 4 जिले बनाए जाने की घोषणा की थी। इसमें गढ़वाल मंडल में 2 जिले (कोटद्वार, यमुनोत्री) और कुमाऊं मंडल में 2 जिले (रानीखेत, डीडीहाट) बनाने की बात कही थी। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के पद से हटते ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। इसके बाद विजय बहुगुणा की सरकार ने इस मामले को राजस्व परिषद की अध्यक्षता में नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन संबंधी आयोग के हवाले कर दिया।

2016 में मुख्यमंत्री बदलने के बाद हरीश रावत सरकार ने 8 जिलों (डीडीहाट, रानीखेत, रामनगर, काशीपुर, कोटद्वार, यमुनोत्री, रुड़की, ऋषिकेश) को बनाने का खाका भी तैयार किया। हरीश रावत ने नए जिलों के गठन के लिए 100 करोड़ की व्यवस्था करने की बात की थी। नए जिलों के गठन के लिए बनाए गए आयोग ने हर नए जिले के निर्माण में करीब 150 से 200 करोड़ रुपए के व्यय का आकलन किया था। हालांकि, इसके बाद कांग्रेस में राजनीतिक उठा-पटक शुरू हुई और नए जिलों की मांग फिर ठंडे बस्ते में डाल दी गई।

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