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अयोध्या और बदरीनाथ की तुलना क्यों?

अयोध्या और बदरीनाथ की तुलना क्यों?

उत्तराखंड की दो विधानसभा सीटों का परिणाम कल घोषित हो चुका है। बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की। चुनाव परिणाम जारी होने के बाद नेशनल मीडिया और सोशल मीडिया में अयोध्या और बदरीनाथ में BJP की हार ट्रेंड करने लगी। इस पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी। लेकिन, सवाल यह है कि आखिरी बदरीनाथ और अयोध्या की ही चर्चा क्यों हो रही है? BJP को देशभर में विभिन्न सीटों पर हुए चुनाव में बड़ा नुकसान हुआ है।

आयोध्या और बदरीनाथ की ज्यादा चर्चा

आयोध्या और बदरीनाथ की सबसे ज्यादा चर्चा है। दरअसल, हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में BJP को आयोध्या (फैजाबाद) लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। यह हार भाजपा को बहुत अखर रही है। हिंदुत्व को अतिवाद की सीमाओं तक लेजाने वाले BJP समर्थक इसके लिए अयोध्या के लोगों को भला-बुरा भी कर रहे हैं। साधु-संत भी इसमें पीछे नहीं रहे।

भंडारी की हार के बाद लोग खुश

लेकिन, बदरीनाथ में ऐसा नहीं है। यहां भंडारी की हार के बाद लोग बहुत खुश हैं। यहां तक कि BJP का एक बड़ा गुट भी इससे बेहद खुश है। BJP खुद भी मानती है कि उन्होंने गलत प्रत्याशी चुना। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इससे जुड़ा मीडिया को बयां भी दिया है। अयोध्या और बदरीनाथ की परिस्थ्यिों में कोई समानता नहीं है। दोनों सीटों में धार्मिक स्थलों से जुड़ा होना एक मात्र समानता है। यही कारण है कि इनकी तुलना और चर्चा की जा रही है।

लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा

जहां आयोध्या में भाजपा को उन लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ा, जिनके घर उजाड़ दिए गए, जिनको बेघर कर दिया गया। जमीन छीन ली गई। अयोध्या में श्री राम मंदिर बनाने के लिए जिस तरह से लोगों को परेशान किया गया वही BJP की हार का कारण बना।

भाजपा को दलबदलू राजेंद्र भंडारी महंगा पड़ा

वहीं, बदरीनाथ विधासभा सीट पर भाजपा को दलबदलू राजेंद्र भंडारी महंगा पड़ गया। राजेंद्र भंडारी को रातों-रात BJP ने पार्टी में शामिल कर लिया था। भंडारी को कांग्रेस की जनसभा के दौरान पहने कपड़े तक नहीं बदलने दिए गए। BJP कार्यकर्ता इससे काफी गुस्से में भी थी। जिसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा।

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