उत्तराखंड पेपर लीक कांड: क्या 30-35 दरोगाओं की नौकरी पर मंडरा रहा खतरा?
देहरादून: हाकम सिंह रावत के साथ दरोगाओं की फोटो वायरल होने के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए DGP आशोक कुमार ने शासन से जांच की शिफारिस की थी, जिस पर CM धामी ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे। जानकारी के अनुसार विजिलेंस को अब तक की जांच में अहम सुराग हाथ लगे हैं। हालांकि, इस संबंध में अब तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विजिलेंस की ओर से की जा रही 2015 में हुई दारोगाओं की भर्ती की जांच में 30 से 35 की नौकरी पर संकट आ सकता है। STF की जांच में गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद गड़बड़ी का शक और गहरा गया है। बताया जा रहा है कि गिरफ्तार एईओ ने पूछताछ में दारोगा भर्ती मामले में काफी जानकारी उपलब्ध कराई है।
2015 में हुई यह भर्ती तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में हुई थी। दारोगा के 339 पदों पर हुई सीधी भर्ती की परीक्षा की जिम्मेदारी गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय, पंतनगर को दी गई थी।
पेपर लीक प्रकरण की जांच कर रही STF ने जब जीबी पंत विश्वविद्यालय के पूर्व असिस्टेंट एस्टेब्लिशमेंट आफिसर (AEO) दिनेश चंद्र को गिरफ्तार किया तो उससे हुई पूछताछ में गड़बड़ी के कई तथ्य हाथ लगे। आरोपित दिनेश चंद्र वर्ष-2006 से वर्ष-2016 तक विश्वविद्यालय के परीक्षा सेल में तैनात था।
दारोगा भर्ती मामले में हुई गड़बड़ी में हाकम सिंह व दिनेश चंद्र दोनों का हाथ होने की बात सामने आ रही है। क्योंकि विवि से सेवानिवृत्त अधिकारी पेपर प्रकाशित करने वाली कंपनी आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस के मालिक राजेश चौहान के संपर्क में था। इसके अलावा भर्ती के कुछ दारोगाओं का हाकम सिंह के साथ संपर्क रहा।