जोशीमठ : जोशीमठ में खतरा कम होने के बजाय हर दिन बढ़ रहा है। सरकार भले ही दावे करे कि ख़तरा कम हो रह है, लेकिन सच यह है कि रोजाना मकानों में दरारें आने की संख्या बढ़ रही है। बढ़ते भू-धंसाव के चलते हालात लगातार चिंता बढ़ा रहे हैं। जीएमवीएन के जिस गेस्ट हाउस जांच करने के लिए आई विज्ञानिकों की टीम ठहरी है, उसमें भी दरारें आ गयी हैं। राहत शिविर बनाए गए संस्कृत महाविद्यालय के भवनों में भी बारीक दरारें नजर आने लगी हैं।
होटलों को तोड़ने की शुरुआत करने के बाद अब आवासीय भवनों को ढहाये जाने की तैयारी शुरू हो गई है। जबकि पहले सर्कार ने इससे इंकार किया था। आठ और परिवारों को राहत शिविरों में ले जाया गया। अब तक 258 परिवारों को सुरक्षा की दृष्टि से शिफ्ट किया जा चुका है। जोशीमठ में जांच के लिए आने वाले वैज्ञानिकों और अफसर गांधी मैदान के पास जीएमवीएन के वीआईपी गेस्ट हाउस में ही ठहरते थे। बुधवार की सुबह भवन में दरार दिखते ही कर्मचारियों ने इसकी सूचना चमोली के जिला पर्यटन अधिकारी को दी।
GMVN गेस्ट हाउस की पहले मंजिल में 204 से 208 तक पांच कमरों की दीवारों में हल्की दरारें थीं। जानकारी के अनुसार अब ये दरारें और बढ़ गईं। कमरों और कार्यालय की दीवारों पर दरारें नजर आने लगी हैं। निचले ताल में कुछ जगह पर टाइल्स भी उखड़ने लग गई हैं। इस लिहाज से गेस्ट हाउस के पांच डीलक्स कमरे असुरक्षित हो गए हैं। इतना ही नहीं थाने के पीछे वाले भवनों में भी दरारें आ गई हैं। बताया जा रहा है कि हाल ही में यहां दरारें आई हैं।
प्रभावित क्षेत्रों में 51 पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण और 50 पशु चारा बैग वितरण का किया गया। संस्कृत महाविद्यालय में भी प्रशासन ने राहत शिविर बनाया हुआ है। यहां पर 23 परिवारों को रखा गया है लेकिन इस भवन में भी दरारें आई हुई हैं। यहां रह रहे प्रभावित प्रदीप का कहना है कि यहां पर पुरानी दरारें हैं।
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