उत्तराखंड : दलित युवक की पिटाई, मंदिर पर बुल्डोजर चलाने की धमकी, गुस्से में करणी सेना
पुरोला: उत्तरकाशी जिले के मोरी क्षेत्र इन दिनों खूब चर्चाओं में है। क्षेत्र में दलित युवक की पिटाई का मामला सामने आया। उसे जलती लकड़ी से जलाने की बातें भी कही गई। मामले में तूल पकड़ा तो राजनीति भी घुस आई। देहरादून से लेकर दिल्ली तक दलितों के लिए काम करने वाले संगठन और लोग दूर पहाड़ के उस गांव में जा पहुंचे, जहां का यह मामला है। दलित क्या किसी की भी पिटाई करना गलत है। मंदिर में दलितों के जाने पर रोक कहीं भी घोषित रूप से नहीं है।
बल्कि, सैकड़ों सालों से दलित समाज के लोग खुद ही मंदिरों में नहीं जाते हैं। इस घटना के बाद एक बार फिर से दलितों और सवर्णों के बीच संघर्ष को बढ़ाने का काम किया जा रहा है। पूरा मामला कानूनी था, लेकिन जिस तरह से अब मामले में हर दिन नए-नए मोड़ सामने आ रहे हैं। उससे यह मामला क्षेत्र में दलितों और सवर्णों को आमने-सामने खड़ा करने का काम कर रहा है। कुलमिलाकर देखा जाए तो एक ही गांव और एक समाज में रहने वाले लोगों को एक-दूसरे का दुश्मन बनाने का खेल खेला जा रहा है।
अब घटना को लेकर कुछ जरूरी बातों पर आते हैं। जिस दिन घटना सामने आई। उस दिन या उसके अलगे दिन तक तो यही लग रहा था कि दलित को मंदिर में जाने से रोका गया और मारपीट की गई। लेकिन, अगले दो दिनों में कुछ और भी बातें सामने आई। पहली बात यह कि जिस सालरा गांव में मंदिर है, उस गांव में पीड़ित युवक के मामा का भी घर है। उन्हीं के घर पर लड़का आया और रात को करीब आठ बजे मंदिर में चल गया।
दूसरा यह कि जब ग्रामीणों और पुजारी ने सुबह के वक्त उसे मंदिर से बाहर लाने के लिए युवक के परिजनों और दलित समाज के ही अन्य लोगों को कहा गया तो उन्होंने साफतौर पर मना कर दिया। घटना की शिकायत पुलिस से की गई और पुलिस ने अपना काम किया भी। हालांकि, अब तक केवल एक पक्ष की ओर से ही कार्रवाई की गई है। जबकि, मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी। उसकी भी शिकायत की गई थी, जिस पर कोई एक्शन अब तक नहीं लिया गया।
यहां तक भी स्थानीय लोग शांत रहे, लेकिन इस बीच अनुसूचित जाति आयोग और अन्य दलित संगठनों के लोग भी पीड़ित के गांव पहुंचे। लोगों ने कुछ नहीं किया। लेकिन, इस बीच भीम आर्मी के कुछ लोग भी गांव में पहुंच गए। खुद का नाम अमित बताने वाला व्यक्ति सीओ और एसडीएम के सामने गांव में तबाही मचाने और मंदिर पर बुलडोजर चलाने की धमकी देता है। हैरत की बात है कि दोनों अधिकारी चुपचाप सुन रहे हैं।
इस बाता की भनक लगते ही श्री राजपूत करणी सेना आक्रोशित हो गई। सेना के सैकड़ों कार्यकर्ता और स्थानीय लोगों ने मंदिर पर बुलडोजर चलाने की धमकी देने वाले को गिरफ्तार करने की मांग की। करणी सेना ने जल्द कार्रवाई नहीं होने पर मामले में उग्र आंदोलन की भी चेतावनी दी है। इतना ही नहीं, करणी सेना ने मामले की गंभीरता से जांच की मांग की है।
इस बीच घटना को लेकर एक चर्चा धर्म परिवर्तन की भी चल रही है। घटना के बाद गांव में पहुंचे कुछ डिजीटल मीडिया चैनलों से बात करते हुए लोगों ने इस बात की भी आशंका जाहिर की है कि यह पूरी घटना किसी बड़ी साजिश का भी हिस्सा हो सकती है। पिछले दिनों पुरोला में भी धर्म परिवर्तन का मामला सामने आ चुका है। ऐसे में धर्म परिवर्तन को लेकर उठ रहे सवालों से इंकार नहीं किया जा सकता है।
कुलमिलाकर देखा जाए तो मारपीट करना और मंदिर में जाने से रोकना पूरी तरह से गलत है। लेकिन, इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि लोगों ने आस्था को लेकर जो नियम बनाए हैं, उनको भी सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। कौल देवता के जिस मंदिर में यह वाकया हुआ है, उसके अपने नियम-कायदे हैं।
ग्रामीणों के अनुसार देवता साल में केवल तीन बाद ही बाहर आते हैं। मंदिर में केवल ठाणी और पुजारी को ही जाने की अनुमति है। मंदिर में जाने की प्रक्रिया भी बेहद कठिन है। जो भी व्यक्ति मंदिर में जाएगा, उसे पहले तीन दिन तक व्रत रखना होगा। मंदिर खोलने और बंद करने के भी नियम हैं। जिस वक्त की घटना बताई जा रही है, उस वक्त मंदिर बंद रहता है। मंदिर में परिसर में उस वक्त लोग भी मौजूद नहीं थे।
बताया जा रहा है कि दलित युवक के मंदिर में जाने के बाद ही लोग वहां जमा हुए थे। एक और बड़ी बात यह है कि लोगों ने रात को कोई एक्शन नहीं लिया। सुबह के वक्त सभी लोगों के मंदिर में जहां होने के बाद ही युवक के स्वजनों के आने के बाद ही उसे बाहर निकाला गया।
हालांकि, पूरा सच क्या है, यह जांच के बाद ही सामने आएगा। करणी सेना का कहना है कि कानून को अपना काम करने देना चाहिए। लेकिन, इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसी विशेष कानून का दुरुपयोग ना हो। इस तरह के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। समाज में फूट डालने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।