Breaking
Sun. May 5th, 2024

उत्तराखंड: जिस दिन खुलेंग बाबा केदारनाथ के कपाट, उसी दिन से धाम में बंद का ऐलान…आखिर क्यों?

केदारनाथ: बाबा केदार नाथ धाम के कपाट 10 मई को खुलेंगे। सरकार यात्रा तैयारियों के दावे कर रही है। वहीं, दूसरी ओर तीर्थ पुरोहित 10 मई से ही अनिश्चितकालीन बंद की तैयारी में जुटे हैं। बड़ा सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? पुरोहितों, होटल स्वामियों, ढाबा संचालकों का आरोप है कि पुननिर्माण कार्यों के नाम पर उनकी पुरानी दुकानों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया गया है। उन्होंने पिछले 6 माह से जिन दुकानों के सहारे अपने परिवार के भरण-पोषण के सपने संजोए थे, उन सपनों पर जेसीबी मशीन का पीला पंजा चला दिया गया। उनके पास विरोध के अतिरिक्त अब कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है।

तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ धाम में शासन-प्रशासन की ओर से किए जा रहे निर्माण से स्थानीय निवासियों के भवनों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। ऐलान किया गया है कि जिस दिन बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे, उसी दिन से धाम में अनिश्चितकालीन बंद किया जाएगा। केदारसभा इस मामले में सीएम धामी को भी पत्र लिख चुकी है। तीर्थ पुरोहितों का आरोप है कि उनको बताए बगैर उनके मकानों के सामने बड़े-बड़े गड्डे बनाए जा रहे हैं, जिससे उनके भवनों को नुकसान पहुंच रहा है।

केदारसभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी और महामंत्री डॉ. राजेंद्र प्रसाद तिवारी ने कहा कि केदारनाथ धाम में किसी भी तरह के अच्छे कार्यों का विरोध नहीं किया जा रहा है। लेकिन, शासन-प्रशासन भूस्वामियों और हक-हकूकधारियों के विरुद्ध अनियोजित तरीके से बन रहे भवनों का लगातार विरोध किया जा रहा है। इसके बाद भी काम जारी है।

उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम में ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों के निर्देश पर भवनों के आगे गड्डे बनाए जा रहे हैं, जिससे उनके भवनों को क्षति पहुंच रही है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर इसी तरह से काम जारी रहा तो, स्थानीय व्यापारी, होटल स्वामी 10 मई को जिस दिन केदारनाथ धाम के कपाट खुल रहे हैं, उसी दिन से अपने प्रतिष्ठान, भवन और विश्रामगृह अनिश्चितकाल के लिए बंद कर देंगे।

नाराज तीर्थ पुरोहितों ने अधिकारियों के खिलाफ पुलिस से भी शिकायत की है। केदारसभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने बताया कि केदारनाथ में उनको भूमिधरी अधिकार मिला है। जमीन कब्जे की नहीं है। इस तरह से आधिकारिक नोटिस के बिना काम करना अनुचित है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो न्यायालय की शरण भी ली जाएगी। केदारनाथ के लिए 2013 में शासनादेश भी जारी हो गया था, फिर भी उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है।

उत्तराखंड: जिस दिन खुलेंग बाबा केदारनाथ के कपाट, उसी दिन से धाम में बंद का ऐलान…आखिर क्यों?

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *