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रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा : झाझरा में सरकारी जमीन बेची, कहीं आपने भी तो नहीं खरीदी?

रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा : झाझरा में सरकारी जमीन बेची, कहीं आपने भी तो नहीं खरीदी?

रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा : झाझरा में सरकारी जमीन बेची, कहीं आपने भी तो नहीं खरीदी?

देहरादून: राजधानी देहरादून में जमीनों की खरीद-फरोख्त और फर्जीवाड़ा आम बात है। एक के बाद एक कई मामले हर दिन सामने आते हैं। फर्जी रजिस्ट्री का एक मामले में बड़े-बड़े अधिवक्ता सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं। कर्मचारियों पर भी गाज गिर चुकी है।

अब एक और मामला सामने आया है। इस मामले में भी सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत है। इन कर्मचारियों ने सरकारी जमीन और गोल्डन फोरेस्ट की जमीनों में बड़ा खेल कर दिया। अगर आपने भी झाझरा में जमीनें खरीदी है, तो अपनी जमीनों के दस्तावेजों को एक बार जरूर खंगाल लें, कहीं आपको भी तो सरकारी जमीनी नहीं बेची गई है?

रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के पहले चरण में 13 मुकदमे दर्ज करने के साथ पुलिस 20 आरोपितों को जेल भेज चुकी है। अरबों रुपये के इस फर्जीवाड़े में पुलिस और ED की कार्रवाई के साथ ही कोर्ट के समक्ष भी वाद गतिमान है।

फर्जीवाड़े के बड़े दायरे को देखते हुए स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के अंतर्गत जो एसआईटी गठित की गई थी, अब उसकी संस्तुति पर भी मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। लिहाजा, फर्जीवाड़े के इस दूसरे चरण में प्रेमनगर पुलिस ने दो और FIR दर्ज की हैं। दोनों ही प्रकरण विकासनगर तहसील से संबंधित हैं। एक मामले में झाझरा में सरकारी भूमि बेच दी गई। जबकि दूसरे प्रकरण में सरकार में निहित की गई गोल्डन फारेस्ट की भूमि को बेचा गया।

फर्जीवाड़े के बड़े दायरे को देखते हुए स्टांप और रजिस्ट्रेशन विभाग के अंतर्गत जो एसआईटी गठित की गई थी, अब उसकी संस्तुति पर भी मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। लिहाजा, फर्जीवाड़े के इस दूसरे चरण में प्रेमनगर पुलिस ने दो और FIR दर्ज की हैं। दोनों ही प्रकरण विकासनगर तहसील से संबंधित हैं। एक मामले में झाझरा में सरकारी भूमि बेच दी गई। जबकि दूसरे प्रकरण में सरकार में निहित की गई गोल्डन फारेस्ट की भूमि को बेचा गया।

झाझरा के प्रकरण में विकासनगर तहसील के तत्कालीन अज्ञात कर्मचारियों को भी आरोपित बनाया गया है। हिस्से में बची थी 60 वर्गमीटर भूमि, बेच डाली 1.977 हेक्टेयर स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग की तहरीर के अनुसार, विकासनगर तहसील के ग्राम झाझरा में इंदिरा नगर देहरादून निवासी बलविंदरजीत सिंह के पास 3.57 हेक्टेयर भूमि थी। जिसे वर्ष 2002 से लेकर 2004-05 के बीच विभिन्न व्यक्तियों के साथ विनिमय करने के साथ ही विक्रय भी किया गया।

जिसके बाद बलविंदरजीत के पास सिर्फ 60 वर्गमीटर भूमि शेष रह गई थी। इसके बाद भी आरोपित ने 1.9770 हेक्टेयर भूमि बेच दी। इसमें से 0.8460 हेक्टेयर भूमि इंडियन सोसाइटी फार ह्यूमन वेलफेयर नामक संस्था को विक्रय की गई। जांच में पाया गया कि संबंधित खसरा नंबर बहुत बड़ा है और उसमें उत्तराखंड सरकार, वन विभाग, टौंस नदी, झाड़ीदार भूमि, बंजर श्रेणी में भी कुल 15.9440 हेक्टेयर भूमि दर्ज है। जाहिर है कि जो अतिरिक्त भूमि बेची गई, वह सरकारी श्रेणी की है और उसी में गैरकानूनी ढंग से कब्जा दिया गया।

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