
मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश 2025: ड्राइवरों और यात्रियों के लिए नई सुरक्षा, पारदर्शिता
नई दिल्ली : भारत सरकार ने ऐप-आधारित टैक्सी सेवाओं को विनियमित करने के लिए ‘मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश, 2025’ जारी किए हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री अजय टम्टा ने बताया कि ये दिशानिर्देश ड्राइवरों और यात्रियों की सुरक्षा, निष्पक्षता और डिजिटल मोबिलिटी क्षेत्र में समावेशिता सुनिश्चित करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 2020 के दिशानिर्देशों को अपडेट करते हुए यह नया कदम उठाया है। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत तैयार ये नियम ओला, उबर, रैपिडो जैसे एग्रीगेटर्स के लिए स्पष्ट ढांचा प्रदान करते हैं।
ड्राइवरों के लिए बेहतर सुरक्षा
नए दिशानिर्देश ड्राइवरों की आय और सामाजिक सुरक्षा पर विशेष ध्यान देते हैं। अब एग्रीगेटर्स को राज्यों द्वारा निर्धारित न्यूनतम किराए के आधार पर प्रति घंटे आय सुनिश्चित करनी होगी। किराया निपटान दैनिक, साप्ताहिक या पाक्षिक आधार पर होगा। प्रत्येक ड्राइवर के लिए 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा और 10 लाख रुपये का सावधि बीमा अनिवार्य किया गया है। कमीशन को 20% तक सीमित करने और पारदर्शी भुगतान प्रणाली लागू करने से ड्राइवरों को उचित आय मिलेगी।
यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा
यात्रियों के लिए भी कई सुधार किए गए हैं। सभी ड्राइवरों का पुलिस सत्यापन, स्वास्थ्य जांच और व्यवहार प्रशिक्षण अनिवार्य होगा। वाहनों में आपातकालीन बटन, जीपीएस निगरानी और यात्रा साझा करने की सुविधा होगी। सर्ज प्राइसिंग को आधार किराए के 1.5 से 2 गुना तक सीमित किया गया है। किराए का विवरण पारदर्शी रूप से प्रदर्शित करना होगा। डेटा गोपनीयता के लिए, एग्रीगेटर्स को भारत-स्थित सर्वरों पर डेटा संग्रह और डेटा संरक्षण अधिनियम का पालन करना होगा।
समावेशिता और पर्यावरण
दिशानिर्देशों में दिव्यांगजनों के लिए अनुकूल वाहन और ड्राइवरों में उनका प्रतिनिधित्व अनिवार्य किया गया है। पर्यावरण संरक्षण के लिए, एग्रीगेटर्स को इलेक्ट्रिक और शून्य उत्सर्जन वाले वाहनों को बेड़े में शामिल करना होगा।
प्रशिक्षण और सड़क सुरक्षा
ड्राइवरों के लिए 40 घंटे का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा, जिसमें सड़क सुरक्षा, लैंगिक संवेदनशीलता और डिजिटल साक्षरता शामिल होगी। सरकार ने IDTR, RDTC और DTC जैसे प्रशिक्षण केंद्रों के लिए 2.5 से 17.25 करोड़ रुपये तक का अनुदान देने की योजना बनाई है। यह पहल 2030 तक सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को 50% कम करने के लक्ष्य को सपोर्ट करेगी।
सहकारी संघवाद
ये दिशानिर्देश राज्यों को लाइसेंसिंग, किराया नियमन और इलेक्ट्रिक वाहन लक्ष्य निर्धारित करने का अधिकार देते हैं। यह भारत के सहकारी संघवाद को दर्शाता है, जहां नीति निर्माण केंद्रीकृत और कार्यान्वयन राज्य-विशिष्ट है।
कानूनी आधार
सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट के निर्णयों ने इन दिशानिर्देशों को मजबूती दी है। ये गिग श्रमिकों के अधिकारों और यात्रियों की सुविधा के बीच संतुलन बनाते हैं, जो ‘विकसित भारत@2047’ के विजन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।