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उत्तराखंड : बेटे के पाप के लिए मां को सजा, ना दुकान से सामान, ना टैक्सी में बैठने की अनुमति…समाज को हो गया है?

उत्तराखंड : बेटे के पाप के लिए मां को सजा, ना दुकान से सामान, ना टैक्सी में बैठने की अनुमति…समाज को हो गया है?

चमोली : जिले के पोखरी ब्लॉक के पोगठा गांव से एक अत्यंत संवेदनशील और चिंताजनक मामला सामने आया है, जहां एक महिला का सामाजिक बहिष्कार सिर्फ इसलिए कर दिया गया क्योंकि उसके बेटे पर हत्या का आरोप है। कमला देवी, पत्नी हरीश लाल, का बेटा हिमांशु फिलहाल एक व्यक्ति की हत्या के आरोप में जेल में है और मामला न्यायालय में विचाराधीन है। मगर कानून के फैसले से पहले ही गांववालों ने अपनी अदालत लगा दी।

महिला ने बताया कि गांव के लोगों ने बैठक कर उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया, नतीजतन उन्हें दुकानों से सामान खरीदने, सार्वजनिक स्थलों पर जाने, यहां तक कि सार्वजनिक वाहनों में बैठने तक से वंचित कर दिया गया। इतना ही नहीं, जंगल जैसे जरूरी संसाधनों तक भी उनकी पहुंच रोक दी गई। इस अमानवीय व्यवहार से परेशान होकर कमला देवी ने 5 जून को पोखरी के एसडीएम अबरार अहमद को शिकायत सौंपी।

एसडीएम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए ग्रामीणों की बैठक बुलाई और स्पष्ट शब्दों में कहा कि हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं, जहां हर नागरिक को संविधान के तहत सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि आरोपी युवक न्यायिक हिरासत में है और अंतिम फैसला अदालत करेगी, न कि गांव की भीड़। एसडीएम ने ग्रामीणों को तत्काल सामाजिक बहिष्कार समाप्त करने और कमला देवी को सभी नागरिक सुविधाएं देने के निर्देश दिए। बैठक में गांव के तमाम लोग, व्यापारी नेता, टैक्सी यूनियन, पूर्व ग्राम प्रधान और पुलिस अधिकारी मौजूद रहे।

ग्रामीणों ने इस पर सकारात्मक रुख दिखाया और बहिष्कार समाप्त करने पर सहमति जताई। साथ ही निर्णय लिया गया कि शीघ्र ही तहसीलदार की अध्यक्षता में गांव में एक और बैठक होगी, जिसमें औपचारिक रूप से इस बहिष्कार को समाप्त किया जाएगा। यह मामला केवल एक महिला के साथ हुए अन्याय का नहीं, बल्कि पूरे समाज को एक आईना दिखाने वाला है। जब तक दोष सिद्ध न हो, तब तक किसी को अपराधी मान लेना न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि मानवता के खिलाफ भी है। कमला देवी की पीड़ा ने इस बात को फिर से रेखांकित किया कि न्याय का काम अदालत का है, पंचायत की भीड़ का नहीं।

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