
किश्तवाड़ में बादल फटने से भारी तबाही, अब तक 60 शव हो चुके बरामद, बचाव अभियान जारी
जम्मू और कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले के सुदूरवर्ती गांव चशोती में शनिवार को लगातार तीसरे दिन भी भीषण बादल फटने के बाद बचाव और राहत अभियान जारी है। इस आपदा में अब तक 60 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं। स्थानीय प्रशासन और बचाव दल मलबे में फंसे 75 से अधिक लापता लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं।
यह त्रासदी 14 अगस्त को दोपहर लगभग 12:25 बजे मचैल माता मंदिर जाने वाले रास्ते के आखिरी गांव चशोती में हुई थी। इस घटना ने पूरे गांव को तहस-नहस कर दिया। आपदा में एक अस्थायी बाज़ार, यात्रियों के लिए एक लंगर स्थल, एक सुरक्षा चौकी, 16 से अधिक आवासीय घर और सरकारी इमारतें, तीन मंदिर और चार पनचक्कियां भी पूरी तरह से नष्ट हो गईं। इसके अलावा, एक 30 मीटर लंबा पुल और एक दर्जन से ज़्यादा वाहन भी अचानक आई बाढ़ में बह गए।
तेज़ किया गया बचाव कार्य
सेना, NDRF, एसडीआरएफ और स्थानीय स्वयंसेवकों के संयुक्त प्रयासों से बचाव अभियान में तेज़ी लाई गई है। अधिकारियों के मुताबिक, अब तक 46 शवों की शिनाख्त कर ली गई है और कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें उनके परिजनों को सौंप दिया गया है। बचाव दल ने मलबे के नीचे से 167 लोगों को बाहर निकाला है, जिनमें से 38 की हालत गंभीर बताई जा रही है। बचाव कार्यों के लिए विशेष उपकरणों, डॉग स्क्वॉड और अर्थ-मूवर्स की तैनाती की गई है। मृतकों में सीआईएसएफ के दो जवान और स्थानीय पुलिस का एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) भी शामिल हैं।
उच्च स्तरीय दौरे जारी
हालात का जायजा लेने के लिए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार देर रात जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नलिन प्रभात के साथ आपदा प्रभावित गांव का दौरा किया और चल रहे बचाव कार्यों की समीक्षा की।
वहीं, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी शुक्रवार शाम किश्तवाड़ पहुंचे। मुख्यमंत्री आज आपदा प्रभावित चशोती गांव का दौरा करेंगे ताकि हुए नुकसान का आकलन किया जा सके। मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से बात की है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया है कि हमें जो भी सहायता चाहिए, केंद्र की ओर से उसमें कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।”
मुख्यमंत्री ने इस घटना को “एक बहुत बड़ी त्रासदी और बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” बताया। उन्होंने मौसम विभाग की चेतावनियों का जिक्र करते हुए यह भी सवाल उठाया कि क्या प्रशासन को ऐसी आपदाओं को रोकने के लिए और कदम उठाने चाहिए थे। इस आपदा के कारण 25 जुलाई से शुरू हुई वार्षिक मचैल माता यात्रा को भी लगातार तीसरे दिन स्थगित कर दिया गया है। यात्रा 9,500 फुट ऊंचे मंदिर तक पहुंचने के लिए 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा है।