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AIIMS ने दुर्लभ कीहोल सर्जरी कर 11 साल की लड़की की बचाई जान, बनी विश्व की सबसे छोटी मरीज

AIIMS ने दुर्लभ कीहोल सर्जरी कर 11 साल की लड़की की बचाई जान, बनी विश्व की सबसे छोटी मरीज

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने दुर्लभ कीहोल सर्जरी (टोटल लेप्रोस्कोपिक व्हिपल ऑपरेशन) कर अग्नाशय कैंसर से पीड़ित 11 वर्षीय लड़की की जान बचाई। यह सर्जरी कराने वाली वह दुनिया की सबसे कम उम्र की मरीज बन गई है।

नवाचार के साथ कम दर्दनाक सर्जरी

विशेषज्ञों के अनुसार, पारंपरिक सर्जरी में पेट पर बड़े कट लगाने पड़ते हैं, जिससे मरीज को अत्यधिक दर्द और बड़े निशान झेलने पड़ते हैं। लेकिन कीहोल सर्जरी के तहत एम्स की टीम ने केवल चार छोटे चीरों का उपयोग किया—दो 5 मिमी और दो 10 मिमी माप के। इस विधि में केवल 80 मिलीलीटर रक्त की हानि हुई, जबकि पारंपरिक सर्जरी में अधिक रक्तस्राव होता है। यह पूरी प्रक्रिया 8.5 घंटे में सफलतापूर्वक पूरी हुई।

झारखंड की बच्ची को थी दुर्लभ ट्यूमर की समस्या

एम्स के बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अंजन कुमार के अनुसार, झारखंड के गढ़वा की यह बच्ची लंबे समय से पेट दर्द से पीड़ित थी। जांच में सॉलिड स्यूडोपैपिलरी एपिथेलियल नियोप्लाज्म (एसपीईएन) नामक दुर्लभ अग्नाशय ट्यूमर पाया गया। इसके इलाज के लिए जटिल व्हिपल प्रक्रिया अपनाई गई, जिसमें अग्नाशय और पाचन तंत्र के एक महत्वपूर्ण हिस्से को निकालकर पुनर्निर्माण किया जाता है।

चुनौतियों से भरी सर्जरी

डॉ. अंजन ने बताया कि लेप्रोस्कोपिक व्हिपल सर्जरी करना बेहद कठिन था क्योंकि अग्नाशय कई महत्वपूर्ण रक्त वाहिकाओं से घिरा होता है। इसलिए इसमें अत्यधिक सटीकता और सावधानी की आवश्यकता थी। ऑपरेटिंग टीम ने सभी जोखिमों को ध्यान में रखते हुए यह जटिल सर्जरी करने का निर्णय लिया।

सफल सर्जरी के बाद बच्ची स्वस्थ

सर्जरी के बाद लड़की तेजी से ठीक हो रही है। उसे न्यूनतम दर्द, कम अस्पताल में रहने और छोटे चीरों के कारण बेहतर कॉस्मेटिक परिणाम मिले हैं। सर्जरी के दौरान सभी ऑन्कोलॉजिकल सिद्धांतों का पालन किया गया, जिससे ट्यूमर को पूरी तरह से हटा दिया गया और मरीज की सुरक्षा सुनिश्चित की गई।

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