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उत्तराखंड: बच्चे पर झपटा गुलदार, अंगूरा देवी ने पकड़ की पूंछ, बचाई बेटे की जान

उत्तराखंड: बच्चे पर झपटा गुलदार, अंगूरा देवी ने पकड़ की पूंछ, बचाई बेटे की जान

लंबगांव : प्रतापनगर विकासखंड के ओनाल गांव में मां की ममता ने मौत को भी मात दे दी। सोमवार की रात जब एक गुलदार ने चार साल के मासूम पर हमला किया, तो उसकी मां अंगूरा देवी जान की बाजी लगाकर अपने बच्चे को गुलदार के जबड़ों से छुड़ा लाई। इस अदम्य साहस और अपार मातृत्व प्रेम ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया।

घर के आंगन में खेल रहे बच्चे पर झपट पड़ा गुलदार

सोमवार रात करीब आठ बजे, प्रतापनगर ब्लॉक के ओनाल गांव में चार वर्षीय गणेश पुत्र धनवीर सिंह अपने घर के आंगन में खेल रहा था। तभी पास की झाड़ियों में छिपे गुलदार ने अचानक उस पर हमला कर दिया। गणेश की चीख सुनते ही उसकी मां अंगूरा देवी दौड़ती हुई बाहर आईं।

गुलदार की पूंछ पकड़ भिड़ गई मां 

बिना डरे और एक पल गंवाए अंगूरा देवी ने गुलदार की पूंछ पकड़ ली और अपने बेटे को उसके चंगुल से छुड़ाने के लिए संघर्ष शुरू कर दिया। काफी देर तक चली इस खींचतान में उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना गणेश को गुलदार से अलग किया।

मां के साहस और प्रेम के आगे गुलदार भी हार गया और दुम दबाकर भाग निकला।

घायल गणेश को अस्पताल किया गया रेफर

घटना के तुरंत बाद ग्रामीणों ने एकत्र होकर घायल गणेश को चौंड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल नई टिहरी रेफर कर दिया गया। फिलहाल बच्चा खतरे से बाहर बताया जा रहा है।

ग्रामीणों की मांग, मां को मिले सम्मान

इस साहसिक घटना के बाद गांव में अंगूरा देवी के हौसले की जमकर सराहना हो रही है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि अंगूरा देवी को सरकारी स्तर पर सम्मानित किया जाए।

वन विभाग की टीम मौके पर 

वन क्षेत्राधिकारी मोहित सैनी ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही विभागीय टीम गांव पहुंची और परिवार से मुलाकात कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया गया है। प्रभागीय वनाधिकारी पुनीत तोमर ने कहा कि गुलदार की गतिविधियों को देखते हुए क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी गई है। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि वे अपने घरों के आसपास की झाड़ियों को साफ रखें, ताकि ऐसे हमलों से बचा जा सके।

ममता की ये कहानी, बन गई मिसाल

अंगूरा देवी की यह कहानी सिर्फ साहस की नहीं, बल्कि मां की ममता की उस ताकत की भी गवाही देती है, जो किसी भी खतरे से टकराने में संकोच नहीं करती। आज ओनाल गांव ही नहीं, पूरा टिहरी उनकी बहादुरी को सलाम कर रहा है।

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