
उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान: सीएम धामी ने साहित्यकारों को किया सम्मानित, पुस्तक मेले का शुभारंभ
देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के साहित्यकारों और भाषाविदों को उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह सम्मान साहित्यिक परंपरा, रचनात्मक चेतना और शब्द-साधकों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। कार्यक्रम का आयोजन उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा आईआरडीटी सभागार, सर्वे चौक, देहरादून में किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को समृद्ध करने में साहित्यकारों का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में 10 उत्कृष्ट साहित्यकारों को एक लाख रुपए की सम्मान राशि प्रदान की गई थी, और अब इसे बढ़ाते हुए 2024 में 21 नए साहित्यिक पुरस्कारों की घोषणा की गई है। इसके अलावा, 45 लेखकों को आर्थिक सहायता देने का भी निर्णय लिया गया है।
उत्तराखंड में साहित्य ग्रामों की स्थापना
सीएम धामी ने घोषणा की कि उत्तराखंड भाषा संस्थान की ओर से दो साहित्य ग्रामों की स्थापना की जा रही है। इन साहित्य ग्रामों में आवासीय सुविधा, आधुनिक पुस्तकालय, संगोष्ठी कक्ष और अध्ययन स्थल जैसी सुविधाएं होंगी। साथ ही, सरकार स्थानीय भाषाओं और बोलियों के संरक्षण के लिए सतत प्रयास कर रही है।
इन साहित्यकारों को किया गया सम्मानित
- उत्तराखंड साहित्य भूषण सम्मान : से सुभाष पंत।
- सुमित्रानंदन पंत पुरस्कार: डॉ. दिनेश पाठक।
- गुमानी पंत पुरस्कार: गोपाल दत्त भट्ट।
- भजन सिंह पुरस्कार: कुलानन्द घनशाला।
- गोविंद चातक पुरस्कार: सुनीता चौहान।
- प्रो. उन्वान चिश्ती पुरस्कार: सगीर उल्लाह।
- गौरा पंत ‘शिवानी’ पुरस्कार: शमा खान।
- मंगलेश डबराल पुरस्कार: सतीश डिमरी।
- महादेवी वर्मा पुरस्कार: शशिभूषण बड़ोनी।
- शैलेश मटियानी पुरस्कार: ललित मोहन रयाल।
- डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार: नीरज कुमार नैथानी।
- बहादुर बोरा बंधु पुरस्कार: महेंद्र ठुकराठी।
- शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ पुरस्कार: मोहन चंद्र जोशी।
- भवानीदत्त थपलियाल सती पुरस्कार: वीरेंद्र पंवार।
- कन्हैयालाल डंडरियाल पुरस्कार: मदन मोहन। डुकलान।
- गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ पुरस्कार: डॉ. पवनेश ठकुराठी।
- विद्यासागर नौटियाल पुरस्कार: अनूप सिंह रावत।
- भैरत दत्त धूलिया पुरस्कार: एमआर ध्यानी।
साहित्य के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएं
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार भाषा संस्थान के माध्यम से उत्तराखंड के बिखरे हुए साहित्य को संरक्षित, संकलित और पुनर्स्थापित करने के लिए ठोस योजनाएं बना रही है। इसके साथ ही, स्थानीय बोलियों और भाषाओं को संरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक खजान दास, उत्तराखंड भाषा संस्थान की निदेशक स्वाति भदौरिया, पूर्व कुलपति प्रो. सुधारानी पाण्डे समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।