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उत्तराखंड : टिहरी में 20 और 21 जुलाई को होगा “किताब कौतिक” 

उत्तराखंड : टिहरी में 20 और 21 जुलाई को होगा “किताब कौतिक” 

  • टिहरी में 20 और 21 जुलाई को होगा “किताब कौतिक” .

  • “किताब कौतिक” 9 सफल पड़ावों के बाद अपने दसवें चरण में टिहरी पहुंच रहा है. 

देहरादून : साहित्य, शिक्षा, पर्यटन और संस्कृति का उत्सव “किताब कौतिक” 9 सफल पड़ावों के बाद अपने दसवें चरण में टिहरी पहुंच रहा है। 20 और 21 जुलाई 2024 को “आओ, दोस्ती करें क़िताबों से” के विचार के साथ 60 प्रकाशकों की करीब 70 हजार पुस्तकें साहित्य प्रेमियोंप्रेमियों के अवलोकन और खरीद के लिए उपलब्ध रहेंगी। इसके अलावा साहित्यिक विमर्श, कवि सम्मेलन, नेचर वॉक, पुस्तक विमोचन और सांस्कृतिक संध्या सहित कई रोचक कार्यक्रम होंगे।

क्रिएटिव उत्तराखंड और भारत ज्ञान विज्ञान समिति द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन नगरपालिका सभागार में होगा। जिसमें देश के करीब साठ पुस्तक प्रकाशकों के स्टाल्स लगेंगे। साहित्यिक परिचर्चा, प्रसिद्ध लेखकों से सीधी बात, स्कूली बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम, बच्चों के लिए विज्ञान कोना, नेचर वाक, आमंत्रित कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक संध्या, हस्त-शिल्प स्टाल्स।

साहित्यिक सत्र में इतिहास, शिक्षा, साहित्य और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा चर्चा सहित अनेक समसामयिक विषयों पर‌ विमर्श होगा। इसके अतिरिक्त स्कूली बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे 15 से 19 जुलाई तक बाल प्रहरी के संपादक और साहित्यकार उदय किरौला द्वारा बच्चों के लिए रचनात्मक लेखन कार्यशाला आयोजित की जाएगी।

कार्यक्रम में वरिष्ठ को सम्मानित किया जाएगा। टिहरी किताब कौतिक में देशभर से प्रसिद्ध लेखक व साहित्यकारों को आमंत्रित किया जा रहा है। क्रियेटिव उत्तराखंड के हेम पंत, दयाल पांडे और प्रवीन भट्ट ने बताया कि बच्चों और युवाओं में पढ़ने लिखने की संस्कृति विकसित करने के उद्देश्य से उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों में किताब कौतिक अभियान चलाया जा रहा है।

पहला किताब कौतिक दिसंबर 2022 को टनकपुर में आयोजित किया गया था। उसके बाद बैजनाथ, चंपावत, पिथौरागढ़, द्वाराहाट, भीमताल, नानकमत्ता, हल्द्वानी, रानीखेत के बाद गढ़वाल मंडल में पहली बार टिहरी में किताब कौतिक के रूप में किताबों का यह अनूठा मेला लगने जा‌ रहा है। टिहरी किताब कौतिक के संयोजक मुख्य शिक्षा अधिकारी श्री शिवप्रसाद सेमवाल ने टिहरी व आस-पास के रहवासियों से क्षेत्र की विशिष्ट पहचान को सुदृढ़ करने के लिए रचनाशीलता के इस अभियान में सहभागी बनने की अपील की है।

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