
उत्तराखंड : सम्मेलन में बड़ी संख्या में जुटे “रवांल्टा”, तांदी और रासो पर जमकर झूमे लोग
उत्तराखंड : सम्मेलन में बड़ी संख्या में जुटे “रवांल्टा”, तांदी और रासो पर जमकर झूमे लोग
देहरादून: पांच जनवरी को हरिद्वार में रवांल्टा सम्मेलन आयोजित किया गया। हरिद्वार में द्वितीय सम्मेलन में रवांई क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत देखने को मिली। सम्मेलन में बड़ी संख्या में हरिद्वार में विभिन्न विभागों को संस्थानों में सेवाएं देने लोग शामिल हुए। सम्मेलन का उद्देश्य अपने लोगों को संगठित करने और एक-दूसरे के बारे जानना है। साथ ही अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने की दिशा में भी यह कदम है। इसके जरिए जहां हम आने वाली पीढ़ी को अपनी विरासत से रू-ब-रू कराते हैं। वहीं, उनको इससे सीख भी मिलती है।
रवांल्टा सम्मेलन के पहले सत्र बच्चों ने अपने रवांल्टी गीतों पर शानदार प्रस्तुतियां दी और भेल के कम्यूनी सेंटर में मौजूद सभी लोगों का मन मोह लिया। बच्चों ने प्रस्तुतियों के जरिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर खूब तालियां बटोरी। बच्चों को उनके प्रदर्शन के लिए पुरस्कार के देकर प्रोत्साहित भी किया गया।
सम्मेलन के दूसरे सत्र में सुनील बेसारी की टीम ने समा बांधा। उनके गीतों, ढोल, उमाऊ की थाप और रणसिंघे की नाद पर लोग झूमते हुए नजर आए। तांदी और रासो नृत्य के साथ शुरूआत के बाद दूसरे सत्र में सम्मेलन में मौजूद लोगों ने एक-दूसरे के बारे में जाना। सभी लोगों ने अपना-अपना परिचय दिया। इससे लोगों को सम्मेलन में शामिल लोगों के बारे में जानने को मिला।
रवांल्टा सम्मेलन का लक्ष्य है कि लोग अपने लोगों के बारे में जानें। यही सम्मेलन के दौरान होते हुए भी नजर आए। कई ऐसे पुरानी साथ मिले, जो कई सालों बाद एक-दूसरे को मिल रहे थे। लोग अपने बचपन के किस्से और कहानियां सुनते-सुनाते हुए नजर आए। बचपन के साथ अपने बचपन की यादें एक-दूसरे के साथ साझा करते नजर आए।
रवांल्टा सम्मेलन का लक्ष्य यह भी है कि किसी एक शहर में रह रहे किसी भी एक व्यक्ति पर अगर कोई संकट आता है, तो सभी लोग उसकी मदद के लिए साथ आ सकें। किसी भी समाज के लिए उसकी एकजुटता काफी अहम होती है। इस तरह के सम्मेलन उसे और मजबूत करती है। साथ ही एक-दूसरे को यह संबल भी देता है कि संकट के समय कोई भी अकेला नहीं है, बल्कि उनका पूरा समाज उनके साथ है।
उत्तराखंड : सम्मेलन में बड़ी संख्या में जुटे “रवांल्टा”, तांदी और रासो पर जमकर झूमे लोग