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उत्तराखंड : जोशीमठ की तरह कर्णप्रयाग में भी हो रहा भू-धंसाव, लोग घर छोड़ने को मजबूर

उत्तराखंड : जोशीमठ की तरह कर्णप्रयाग में भी हो रहा भू-धंसाव, लोग घर छोड़ने को मजबूर

चमोली : जिले के कर्णप्रयाग नगर के विभिन्न हिस्सों- बहुगुणा नगर, गांधी नगर, राजनगर, आईटीआई, ईडा बधाणी, अपर बाजार में भू-धंसाव और जमीन के कटाव के चलते स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है.

भाकपा (माले) के गढ़वाल सचिव कामरेड इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि भू-धंसाव और भू कटाव के चलते लोगों के घरों में भी दरारें आ रही हैं, जो निरंतर बढ़ रही है. लोग डर के साये में, जीवन पर मंडराते खतरे के बीच जीने को मजबूर हैं.

बहुगुणा नगर में एनएचआईडीसीएल और मंडी परिषद द्वारा की गयी कटिंग इसका कारण है, राजनगर में भी एनएचआईडीसीएल द्वारा की गयी कटिंग ही इसका कारण है.

यह विडंबना है कि ऐसी गंभीर स्थिति के संदर्भ में पूर्व में भी शासन-प्रशासन को अवगत कराया जाता रहा, लेकिन संकट में घिरे लोगों को इस संकट से उबारने के लिए कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गयी.

हम यह मांग करते हैं कि भू-धंसाव और भू कटाव झेल रहे कर्णप्रयाग नगर के विभिन्न हिस्सों का तत्काल समयबद्ध भूगर्भीय सर्वेक्षण करवाया जाये, जिन क्षेत्रों में ट्रीटमेंट संभव है, वहां अविलंब ट्रीटमेंट की कार्यवाही शुरू की जाये और जो क्षेत्र रहने योग्य नहीं हैं।

वहां लोगों के तत्काल विस्थापन और पुनर्वास का समुचित इंतजाम किया जाये. ट्रीटमेंट करने के दौरान यदि अस्थायी तौर पर विस्थापन करना हो तो उसका उचित इंतजाम किया जाये.

ट्रीटमेंट, विस्थापन आदि का कार्य त्वरित व उचित तरीके से हो सके, इसके लिए संकट जिन की वजह से उपजा है, उन पर ज़िम्मेदारी आयद करते हुए यह कार्यवाही की जाये।

ये हैं कारण

1.बहुगुणा नगर, गांधी नगर, राजनगर में भूधँसाव का कारक एनएचआईडीसीएल और मंडी परिषद पर मुआवजे, ट्रीटमेंट और पुनर्वास की ज़िम्मेदारी आयद की जाये क्यूंकि इन क्षेत्रों में उनके द्वारा की गयी कटिंग के चलते ही ऐसे हालात पैदा हुए हैं.

2.अपर बाजार के ट्रीटमेंट का काम एनएचपीडबल्यूडी को करना चाहिए क्यूंकि उनके सड़क निर्माण की वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है.

3.ईडा बधाणी में भू स्खलन के रोकथाम के उपाय किए जाएँ. चूंकि संकट बेहद गंभीर है, इसलिए उत्तराखंड सरकार से मांग है कि वह तत्काल इस पर कार्यवाही करे.

यदि एक सप्ताह के भीतर इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं होती तो हम उग्र आंदोलन के लिए विवश होंगे, जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व उत्तराखंड सरकार का होगा.

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