उत्तराखंड: “बेड़ू पाको बारा मासा”….PM मोदी को भाई DM की मुहिम, इन बीमारियों का रामबाण इलाज
देहरादून: बेडू पाको बारो मासा, नारणी काफल पाको चैता मेरी छैलू…। यह गाना उत्तराखंड का सबसे फेमस गीतों में से एक है। इस गाने की धुनों को एक-दो हिंदी फिल्मों में भी प्रयोग किया गया है। गीत बेडू के फल की विशेषता बताता है। पिछले दिनों पिथौरागढ़ के डीएम आशीष चौहान ने बेड़ू के कई तरह के उत्पाद भी पेश किए। इस फल को केवल सांस्कृतिक महत्व ही नहीं मिला बल्कि यह फल लोगों को स्वस्थ रखने में भी बहुत फायदेमंद है। इस फल की सब्जी बसंत ऋतु की शुरुआत में बनाई जाती है। उत्तराखंड वनस्पति के मामले में भरपूर है। जंगली पेड़, पौधों से लेकर खानेपीने की चीजों की कमी नहीं है।
बेडू का फल खाने से कब्ज, तंत्रिका विकार, जिगर की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। बेडू का फल केवल उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि यह कश्मीर, ईरान, सोमानिया, हिमाचल, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सुडान तथा इथियोपिया में भी पाया जाता है। दुनियाभर में इसकी 800 प्रजातियां पाई जाती हैं। हिमाचल में बेडू फागो नाम से जाना जाता है। इसे फाल्गू या अंजीरी भी कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे वाइल्ड फिग और इंडियन फिग कहते हैं। यह मौरेशी वंश का पौधा है। आज हम इस अमूल्य औषधि के गुणों के बारे में जानेंगे।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहाड़ी अंजीर कहे जाने वाले बेडू का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने पिथौरागढ़ प्रशासन के बेडू के उत्पादन को बढ़ावा देकर रोजगार सृजन व खनिज एवं वनस्पतियों के संरक्षण के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। मुख्यमंत्री ने इसके लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वास्तव में बेडू स्वास्थ्य के लिए संजीवनी है, जिसके माध्यम से स्थानीय लोगों द्वारा अनेक रोगों का शमन किया जाता है।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिलाधिकारी पिथौरागढ़ आशीष चौहान से फोन पर बात कर इस सराहनीय पहल के लिए जिला प्रशासन एवं जनपद वासियों को बधाई दी। बताया कि जिला प्रशासन के सहयोग से पिथौरागढ़ में बेडू से जूस, जैम, चटनी, आचार एवं अन्य सामग्री बनाई जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मन की बात में प्रधानमंत्री ने जल के संरक्षण एवं संवर्धन, कुपोषण मुक्त भारत के लिए कुपोषण मुक्ति के प्रयासों एवं इसके लिए जागरूकता, मोटे अनाजों के उत्पादन के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने की बात कही।
बेडू फल के फायदे
बेडू का फल ही केवल खाने लायक नहीं होता बल्कि इसकी जड़, पत्तियां, फल आदि भी उपयोग के लायक होती हैं। कहा जाता है कि यह फल जानवरों में दूध की पैदावार को बढ़ाता है। बेडू के फल के फायदे इस प्रकार हैं-
चोट लगने पर मददगार
बेडू का पूरा फल ही उपयोग के लायक होता है। बेडू के फल से निकलने वाला सफेद दूध चोट में मददगार होता है। उस दूध को शरीर में कहीं चोट लगने पर लगाया जाता है तो चोट ठीक हो जाती है। उत्तराखंड में इस दूध को चोप कहा जाता है।
सब्जी बनती है
इस फल की सब्जी भी बनाई जाती है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं जो कई बीमारियों से दूर रखता है। कच्चे बेडू को पहले उबाला जाता है। और फिर सब्जी बना दी जाती है। जून में बेडू पकने लग जाते हैं। इसमें जूस भी होता है। स्कवाश, जैम और जैली बनाई जाती है।
जानवरों के लिए फायदेमंद
बेडू के फल के पत्ते जानवरों को देने से वे दूध अच्छे से देते हैं। इनकी हरी पत्तियां जानवरों को खूब पसंद आती हैं। दुधारू पशुओं को यह पत्ते खिलाए जाते हैं। आयुर्वेद में कई औषधियां ऐसी हैं जो जानवरों के लिए भी फायदेमंद हैं।
व्यावसायिक फल
यह बहुत दुख की बात है कि उत्तराखंड एक अलग राज्य बनने के बाद उसकी जड़ी बूटियों को हल्ला मचाया गया लेकिन उनका व्यावसायिक उपयोग बहुत कम किया गया। आज ऐसे कई फल हैं जो लुप्त हो गए हैं। वे पौधे जंगलों में तो खूब उगते हैं, लेकिन उनका व्यावसायिक उपयोग बहुत कम होता है। बेडू उन्हीं फलों में से एक है जो उगता तो खूब अधिक मात्रा में है लेकिन उसका उपयोग बहुत कम होता है।
शरीर के विकास में मददगार
बेडू का फल औषधियों गुणों से भरपूर है। यह कई बीमारियों में काम आता है। इसमें विटामिन सी कम होता है। लेकिन इसमें प्रोटीन वसा, फाइबर, सोडियम, फासफोरस, कैल्शियम और लोह तत्त्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। शरीर के विकास के लिए यह सभी तत्त्व जरूरी हैं।
फेफड़ों के लिए उपयोगी
बेडू का फल फेफड़ों के किसी रोग के लिए बहुत उपयोगी है। इसे खाने से फेफड़़ों की बीमारियां ठीक होती हैं। तो वहीं श्वास संबंधी रोग भी ठीक होते हैं।
ट्यूमर, अल्सर करे ठीक
उत्तराखंड में लोग कई बीमारियों से घरों पर ही ठीक हो जाते हैं। क्योंकि उनके आसपास इतनी औषधियां हैं। बस उन्हें उन औषधियों का ज्ञान होने जरूरी है। बेडू का फल ट्यूमर, अल्सर, मधुमेह के रोगियों को लाभ पहुंचाता है।
मूत्राशय से संबंधी रोगों के लिए
बेडू का फल मूत्राशय से संबंधी रोगों के लिए रामबाण इलाज है। इसका कच्चा और पका हुआ दोनों फल खाए जा सकते हैं। तो वहीं इस फल में ऐसे गुण होते हैं जो तनाव को कम करते हैं। पर यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इस फल को ज्यादा न खाएं। क्योंकि उससे जीभ भी छिल जाती है।