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उत्तराखंड: सोच को सलाम, कांवड़ के रूप में फौजी की मूर्ति लेकर पहुंचा शिव भक्त मोनू

  • कांवड़ के रूप में फौजी कि मूर्ती लाया मोनू.

  • फौजी की प्रतिमा हरिद्वार में कराया स्नान.

हरिद्वार: कांवड़ मेला इस बार पूरे दो साल हो रहा है। कोरोना महामारी के कारण कांवड़ यात्रा नहीं हो पाई थी। इस बार स्थिति समान्य होने के बाद कांवड़ यात्रा अब शुरू हो चुकी हैं। भगवान शंकर के भक्त कई तरह के रूप धर कर इस यात्रा में शामिल होते हैं। यात्रा के दौरान कांवड़िये कई तरह की कांवड़ भी लेकर आते हैं, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बनते हैं।

ऐसा ही कुछ नजारा इस बार भी देखने को मिल रहा है। 14 जुलाई को शुरू हुई कांवड़ यात्रा के पहले दिन एक ऐसी कांवड़ देखने को मिली, जिसे देख लोगों के भीतर देशभक्ति का जज्बा जाग उठा। अब आप सोच रहे होंगे कि बाबा भोले नाथ की यात्रा में देशभक्ति कहां से आ गई। लेकिन, जैसा आप तस्वीर में देख रहे हैं, देशभक्ति का कारण भी यही मूर्ति है।

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ग्रेटर नोएडा से आए मोनू की कांवड़ देख लोगों ने भारत माता के जायकार लगाए और मोनू की सोच को भी सलाम किया। मोनू जितना  भगवान शंकर के भक्त हैं, उतने ही देश की रक्षा में तैनात देश के जवानों के भी हैं। मोनू फौजी की प्रतिमा सिर पर रखकर हरिद्वार से गंगाजल लेकर ग्रेटर नोएडा के लिए पैदल निकल पड़े। उनके जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है।

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कांवड़ यात्रा शुरू होने के दिन लाखों कांवड़ियों के बीच एक कांवड़िए पर सबकी निगाहें ठहर गई। मोनू को जिसने भी देखा, देखता ही रह गया। मोनू ग्रेटर नोएडा के गांव छपरोला के रहने वाले हैं। 26 साल के मोनू कांवड़ के रूप में एक फौजी का प्रतिमा लेकर पहुंचे। हरकी पैड़ी पर खुद नहाने के बाद फौजी की मूर्ति को भ्ज्ञी स्नान कराया। इसके बाद गंगाजल लिया और कांवड़ के रूप में फौजी के प्रतिमा को सिर पर रखकर अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गए।

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कांवड़ रूट पर पैदल सिर में फौजी काप्रतिमा देखकर हर कोई हैरान रहा। लोगों ने उनके जज्बे को सलाम किया। मोनू ने बताया कि पुलवामा हमले की घटना ने उनको हिलाकर रख दिया था। सेना के जवानों के सम्मान के लिए उन्होंने कांवड़ के रूप में फौजी की मूर्ति को लेजाने का संकल्प लिया था। जैसे कांवड़ शुरू हुआ मोनू ने अपना संकल्प पूरा कर लिया। उनका यह भी मामन है कि ऐसा करने से मौज के प्रति लोगों में सम्मान बढ़ेगा।

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