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एक्सक्लूसिव : पहाड़ पर कब थमेगा मौत का सिलसिला, सिर्फ चार दिन में 41 से ज्यादा मौतें 

देहरादून : उत्तराखंड में हादसे आम हो चले हैं। हर दिन पहाड़ से किसी न किसी वाहन के खाई में गिरने की खबर आ जाती है। इन हादसों में रोजाना लोगों की मौतें हो रही हैं। कई लोग ताउम्र के लिए अपंग हो जाए हैं।

किसी के घर का चिराग बुझा रहा है, तो किसी का पूरा परिवार ही तबाह हो रहा है। पिछले 4 दिनों के भीतर ही उत्तराखंड में सड़क हादसों में 41 लोगों की मौत हो चुकी है। कब तक लोग ऐसे ही बेमौत मरतै रहेंगे।

सबसे बड़ा हादसा यमुनोत्री हाईवे पर डामटा से कुछ आगे दिखाएं खड्ड के पास हुआ। यहां मध्य प्रदेश के तीर्थयात्रियों से भरी बस गहरी खाई में जा गिरी और देखते ही देखते बस में सवार 30 में से 26 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

मौत का तांडव ऐसा कि किसी को अस्पताल तक पहुंचाने का मौका भी नहीं मिला। इस हादसे के अगले ही दिन चंपावत में एक बोलेरो वाहन गहरी खाई में जा गिरा। इस हादसे में तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई

इस हादसे को लोग भूले ही नहीं पाए थे कि तब तक पिथौरागढ़ से भी एक हादसे की खबर सामने आ गई।इस हादसे में 2 लोगों की जान चली गई। हादसों का ये सिलसिला दर्दनाक तकलीफ दे रहा है।

अगले ही दिन टिहरी जिले के घुत्तू-घनसाली में वाहन गहरी खाई में जा गिरा, जिसमें 5 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। अभी लोग इस हादसे से उबरे भी नहीं थे कि नैनीताल में एक और बड़ा हादसा सामने आ गया

नैनीताल में वाहन गहरी खाई में जा गिरा, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई। ये वो बड़े हादसे हैं जो अखबारों और न्यूज़ चैनलों समेत न्यूज़ पोर्टलों की सुर्खियां बनी। कुछ हादसे ऐसे भी थे, जो सुर्खियों में नहीं बने। इन हादसों में भी कम से कम 5 लोगों की मौतें हुई इस तरह देखा जाए तो अब तक 46 लोगों की मौत पिछले एक सप्ताह के भीतर हो चुकी है।

इन हादसों के बाद सरकार और परिवहन विभाग हर बार जांच की बात कहता है। मजिस्ट्रियल जांच के आदेश भी दिए जाते हैं। केंद्र सरकार से टीम भी भेजी जाती है, लेकिन सवाल यह है कि हादसे आखिर थमेंगे कब। कब तक इन दर्दनाक हादसों के ज़ख्मों से लोगों के परिवार गुजरते रहेंगे।

 

कब तक इन हादसों में लोगों के सपने चूर होते रहेंगे। कब तक पहाड़ इन हादसों का दंश झेल पा रहेगा। ज्यादातर हादसों में ओवरलोडिंग ही सबसे बड़ा कारण सामने आया। जबकि कुछ मामलों में चालक के शराब पिए होने का मामला भी सामने आया। सवाल यह है इनके लिए जिम्मेदार कौन है?

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