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उत्तरकाशी : 20 सालों से लकड़ी की पुलिया का सहारा, हर दिन हथेली पर जान, अब करेंगे भूख हड़ताल!

उत्तरकाशी : 20 सालों से लकड़ी की पुलिया का सहारा, हर दिन हथेली पर जान, अब करेंगे भूख हड़ताल!

उत्तरकाशी : 20 सालों से लकड़ी की पुलिया का सहारा, हर दिन हथेली पर जान, अब करेंगे भूख हड़ताल!

मोरी: पांच गांवों को जोड़ने के लिए एक पुलिया 20 साल पहले बनी थी, जिसकी हालत बदहाल हो चुकी है। आपको जानकार हैरानी होगी कि यह पुलिया लोहे या सीमेंट से नहीं बनी है, बल्कि लकड़ी से बनी हुई है। इसी पुलिया से हर दिन पांच गावों के लोग सफर करते हैं। खतरा इतना कि इस पर एक बार में दो-तीन लोगों का जाना भी खतरे से खाली है। पुलिया इतनी जर्जर हो चुकी है कि लोग रोजाना जान हथेली पर रखकर इसी पुलिया से आते-जाते हैं।

यह पुलिस विधायक दुर्गेश्वर लाल की विधानसभा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि उनके अपने गृह क्षेत्र में ही है। यहां लोग सालों से परेशानियों से जूझ रहे हैं। लेकिन, कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं है। मोरी ब्लॉक के राला से कासला को जोड़ने वाली पैदल पुलिया लंबे समय से क्षतिग्रस्त है। कई बार ग्रामीण पुलिया की जगह पर पक्के पुल की मांग कर चुके हैं, लेकिन आज तक उनकी किसी ने नहीं सुनह।

ग्रामीणों के संपर्क का पैदल सम्पर्क मार्ग बार-बार टूटता रहता है। इस मार्ग से केवल एक नहीं, बल्कि पांच-पांच गांवों का रास्ता है। इस मार्ग पर बनी पुलिया क्षतिग्रस्त है। कई बार जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी ने भी इस पुलिया की मरम्मत या फिर निर्माण की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।

पुलिया पार करते वक्त हर समय जान का खतरा बना रहता है। लोग हर दिन अपनी जान हथेली पर रखकर इसे पार करते हैं। लकडी की पुलिया है, जो करीब 20 करीब साल पुरानी है। उस पर लगी लकडियां सड़ चूकी हैं।

अक्टूबर माह में ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को एक पत्र लिखा था, जिसका संज्ञान लेकर जिलाधिकारी ने आपदा कन्ट्रोल रूम के माध्यम से गोविन्द वन्य जीव पशु विहार पुरोला को भी अवगत करया गया था। बावजूद, पुलिया के पुननिर्माण और मरम्मत की किसी ने जहमत नहीं उठाई। अंदाजा लगा सकते हैं कि जिलाधिकारी के निर्देशों को नजरअंदाज किया जा रहा है।

2023 दिसंबर माह में पुलिया से गिरने के कारण खच्चर की मौत हो गई थी। 2014 में रतन चन्द, पतिदेवी चोटिल हो चुके हैं। चकर सिह गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। आप खुद ही अंदाजा लगा लीजिए कि पुलिया कितनी खतरनाक स्थिति में होंगी। सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामीण जगमोहन सिंह रावत का कहना है कि अगर जल्द कुछ नहीं किया गया, तो 15 जनवरी 2024 को ग्रामवासी भूखहड़ताल पर बैठ जाएंगे।

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