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उत्तराखंड : दो EX CM के बयान, BJP में दून से दिल्ली तक हलचल, पढ़ें पूरी खबर

देहरादून: BJP इस वक्त अपने दो पूर्व सीएम के बयानों से घिरी नजर आ रही है। भले ही विपक्ष ने दोना EX CM के बयानों पर कोई बड़ा आंदोलन या हल्ला बोल नहीं किया। लेकिन, BJP के भीतर आपसी खींचातान की बात जरूर खुलकर सामने आ गई। इसको लेकर भाजपा में भी चर्चाएं हुई हैं। केवल राज्य के नेताओं ही नहीं। बल्कि, दिल्ली में आलाकमान तक भी बात पहुंची है। कहा जाता है कि बात निकली है, तो बड़े दूर तक जाएगी। देखना होगा कि दोनों पूर्व सीएम और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की बात कितनी दूर तक जाती है।

इस बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के बाद पूर्व CM त्रिवेंद्र सिंह रावत भी दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष JP नड्डा से मुलाकात करने पहुंच गए। उन्होंने इस मुलाकात को भले ही शिष्टाचार भेंट बताया हो, लेकिन माना जा रहा है कि त्रिवेंद्र को उनके बयान के चलते ही दिल्ली में तलब किया गया था। इससे एक बात तो साफ है कि भाजपा में कुछ तो चल रहा है।

EX CM तीरथ सिंह रावत व त्रिवेंद्र रावत के हाल में आए बयानों से सत्ताधारी BJP असहज हो गई है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट दोनों नेताओं के बयानों को लेकर केंद्रीय नेतृत्व से मिले। उनका कहना है कि अगर किसी मामले में दोनों नेताओं को आपत्ति है तो वह पार्टी फोरम में अपनी बात रखें न कि सार्वजनिक मंच पर।

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पूर्व CM तीरथ सिंह रावत का एक बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। उन्होंने कहा था कि यूपी में जो कमीशनखोरी की प्रथा प्रचलित थी वह उत्तराखंड में भी जारी है। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक बयान सोशल मीडिया में वायरल हुआ है।

EX CM त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहा था कि स्मार्ट सिटी उनके कार्यकाल में देश में 9वें स्थान पर था लेकिन आज जो हो रहा है उससे सरकार की छवि खराब हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि स्मार्ट सिटी में कुछ गड़बड़ लगती है। दोनों नेताओं के बयानों को लेकर विपक्ष सरकार पर निशाना साध रहा है।

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प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को दिल्ली का रुख करना पड़ा। उन्होंने दिल्ली में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष और प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम से भेंट की। बयानों से उपजे सियासी हालात बयां किए। बताया जा रहा है कि उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई है कि वरिष्ठ नेताओं को सार्वजनिक मंचों के बजाए पार्टी फोरम पर अपनी बात रखनी चाहिए। वहीं, इसे BJP में अंतरद्वंद्व के तौर पर भी देखा जा रहा है।

लेकिन, दोनों के बयानों के सही मायने अब तक समझ नहीं आ पाए हैं। तीरथ सिंह रावत को भले ही कम मौका मिला हो, लेकिन पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को तो काफी मौका मिला था। स्मार्ट सिटी समेत तमाम मसलों पर उन्हीं की पार्टी के नेताओं और सरकारों ने उनको निशाने पर लिया था। यही कारण रहा कि कार्यकाल पूरा करने से ठीक पहले उनकी कुर्सी छीन ली गई है।

तीरथ सिंह रावत को CM की कुर्सी मिली ही थी कि उनके बयानों को सिलसिला चल पड़ा। BJP ने चुनाव में हार-जीत का अंदाजा लगाया और उप चुनाव के नियमों को बहाना बनाकर उनको चलता कर दिया। सवाल यह भी है कि कहीं, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यह खुद के लिए टिकट की चाल तो नहीं है। आलाकमान के नजरों में खुद की अहमियत और अस्तित्व को बचाए रखने के लिए प्रयास के तौर पर भी इन बयानों को देखा जा रहा है।

लेकिन, सबसे बड़ी बात यह है कि तीरथ सिंह रावत की बातों में बहुत बड़ी सच्चाई है। राज्य में पिछले दिनों जिस तरह से नौकरियों में खेल का खुलासा हुआ। उससे एक बात तो साफ है कि बिना पैसे के यहां कोई काम नहीं होता है। फिर भाजपा को इसमें असहज तो होना ही था। तीरथ सिंह रावत ने राज्य की कमीशनखोर व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी।

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