उत्तराखंड : तेरी फाइल, मेरी फाइल के चक्कर में लटकी 201 सड़कें, ये है नौकरशाही का हाल
देहरादून: सरकार भले ही लाख दावे करे। लेकिन, हकीकत यह है कि राज्य भर में सड़कों की स्थिति बदहाल है। बदहाल सड़कों के अलावा प्रदेश में PMGSY योजना के तहत बनी 201 सड़कें अब तक लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित नहीं हो पाई हैं। नतीजतन सुन सड़कों का भी हाल बहुत बुरा है।
सरकार बार-बार यह दावा करती है कि नौकरशाही के पेंच कसे जा रहे हैं, लेकिन सरकार के दावों पर सवाल तब खड़े होते हैं। जब फाइलें मेरी और तेरी के चक्कर में इस विभाग से उस विभाग और इस अनुभाग से उस अनुभाग में दौड़ाई जा रही हैं, जिसके चलते धरातल पर योजनाएं या तो उत्तर ही नहीं पा रही हैं या फिर उनका सही समय पर क्रियान्वयन और हस्तांतरण नहीं हो पा रहा हैशासन में बैठे अधिकारियों की कार्य के प्रति अनदेखी का एक और उदाहरण सामने आया है। मुख्य सचिव के निर्देश के बाद भी पीएमजीएसवाई की 204 सड़कें लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित नहीं हो पाई हैं। ऐसे में ये सड़कें खस्ताहाल स्थिति में भगवान भरोसे ही हैं।
प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY) के तहत बनाई गईं सड़कों की हालत किसी से छिपी नहीं है। नियम है कि निर्माण के पांच साल बाद पीएमजीएसवाई की सड़कों को लोनिवि को हस्तांतरित कर दिया जाए, ताकि सड़कों का बराबर रखरखाव होता रहे, लेकिन यहां स्थिति ऐसी है कि कई सड़कें 10 से 15 साल बाद भी हस्तांतरित नहीं हो पाई हैं। ऐसी कुल सड़कों की संख्या 501 थी।
अक्तूबर में मुख्य सचिव ने इसका संज्ञान लेते हुए 15 दिन में इन सड़कों हस्तांतरित करने के निर्देश दिए थे, लेकिन तब से अब तक मात्र 297 सड़कें ही लोनिवि को सौंपी गई हैं। यह प्रक्रिया भी तक शुरू हो पाई, जब शासन ने इस पर सख्त रुख दिखाया।
प्रदेश की 501 सड़कों की कुल लंबाई 3,576 किमी है, जबकि इनमें से 1,719 किमी लंबाई की 297 सड़कें लोक निर्माण विभाग को सौंपी जा चुकी हैं, जबकि 1,857 किमी लंबाई की 204 सड़कें अब भी अधर में लटकी हुई हैं। यह सभी सड़कें बेहद खस्ताहाल स्थिति में हैं, जिसके चलते ग्रामीणों को आवागमन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।