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उत्तराखंड: पांडवाज बैंड ने राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ पर गाया गाना…हो गया वायरल, सोशल मीडिया में छाया

उत्तराखंड: पांडवाज बैंड ने राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ पर गाया गाना…हो गया वायरल, सोशल मीडिया में छाया

देहरादून: उत्तराखंड में मूल निवास और भू कानून की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन जारी है, लेकिन अब तक इस पर सरकार का कोई ठोस फैसला नहीं आ पाया है। इस बीच, राज्य के प्रसिद्ध गढ़वाली बैंड पांडवाज ने भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज बुलंद कर दी है।

पांडवाज ने उठाई भू-कानून की मांग 

राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ के मौके पर जब पांडवाज ने अपने गाने के जरिए मूल निवास और भू कानून की मांग उठाई, तो पूरा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस दौरान हजारों की संख्या में मौजूद दर्शकों ने इस मांग का समर्थन किया और उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए सख्त कानून की जरूरत पर जोर दिया।

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भू कानून पर बढ़ता जन समर्थन

गौरतलब है कि उत्तराखंड में बाहरी लोगों द्वारा भूमि खरीदने पर प्रतिबंध लगाने और स्थानीय निवासियों के हितों की सुरक्षा के लिए सख्त भू कानून की मांग लंबे समय से की जा रही है। जनभावनाओं को देखते हुए कई बार इसको लेकर बड़े आंदोलन भी हुए, लेकिन अब तक सरकार ने इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।

बड़े प्रदर्शन हुए 

मूल निवास, भू-कानून समन्वय समिति के नेतृत्व में  बड़े प्रदर्शन हुए, जिसमें हजारों लोगों ने भाग लिया और सरकार से मांग की कि हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी कड़े भू कानून लागू किए जाएं। इस आंदोलन में युवाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों की भी भागीदारी रही।

पांडवाज ने संगीत से जगाई चेतना

गढ़वाली संगीत बैंड पांडवाज ने इस मुद्दे को एक नए अंदाज में उठाते हुए राष्ट्रीय खेलों के मंच से अपनी बात रखी। उनके गाने में उत्तराखंड की मिट्टी, पहचान और हक की बात की गई, जिससे वहां मौजूद दर्शकों में जोश भर गया। पांडवाज के इस प्रयास ने न केवल इस आंदोलन को मजबूती दी, बल्कि आम जनता और युवाओं के बीच भी जागरूकता पैदा की।

उत्तराखंड की आवाज

स्टेडियम में बैठे लोग तालियां बजाकर इस मांग का समर्थन करते दिखे। इस दौरान कई दर्शकों ने कहा कि यह सिर्फ एक गाना नहीं, बल्कि उत्तराखंड की आवाज है, जिसे अब दबाया नहीं जा सकता।

राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया मुद्दा

पांडवाज के इस साहसिक कदम ने मूल निवास और भू कानून की मांग को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया है। कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

बनाएंगे सख्त भू-कानून 

वहीं, सरकार भी लगातार यह दावा कर रही है कि भू-कानून को लेकर वह गंभीर है और एक कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने भी इस संबंध में एक कमेटी गठित करने की बात कही थी, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

आंदोलन को नई ऊर्जा

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है। क्या सरकार जनता की मांगों को ध्यान में रखते हुए कोई ठोस कदम उठाएगी या यह मुद्दा सिर्फ बहस और राजनीति तक ही सीमित रहेगा? फिलहाल, पांडवाज बैंड के इस प्रयास ने इस आंदोलन को नई ऊर्जा दे दी है और उत्तराखंड के लोगों को उम्मीद है कि उनकी आवाज अब और दूर तक जाएगी।

 

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