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उत्तराखंड : जमीन बंटवारा विवाद बना भयावह, युवक ने तहसील में खुद को लगाई आग, हालत गंभीर

उधम सिंह नगर: उत्तराखंड के खटीमा में मंगलवार की शाम एक ऐसी घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया, जो न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक गहरी चेतावनी बन गई। खटीमा तहसील परिसर में दियूरी गांव के नारायण सिंह ने पारिवारिक जमीन विवाद के चलते आवेश में आकर अपने शरीर पर ज्वलनशील पदार्थ छिड़ककर खुद को आग के हवाले कर दिया। यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी थी, बल्कि पारिवारिक विवादों के गहरे जख्मों और मानसिक दबाव की भयावह तस्वीर को भी उजागर करती है।

मंगलवार शाम करीब 6 बजे, जब तहसील परिसर में दिन की भागदौड़ थम रही थी, अचानक एक चीख ने वहां मौजूद लोगों के कानों को चीर दिया। नारायण सिंह, जो अपने पिता की 46 बीघा जमीन के बंटवारे को लेकर तहसील आए थे, ने एकाएक अपने ऊपर ज्वलनशील पदार्थ उड़ेल लिया और आग लगा ली। लपटें इतनी तेज थीं कि देखते ही देखते उनका शरीर आग की चपेट में आ गया। वहां मौजूद स्टांप वेंडर राशिद अंसारी और अजीम ने बिना वक्त गंवाए कंबल और मिट्टी डालकर आग बुझाने की कोशिश की। उनकी बहादुरी ने आग को तो नियंत्रित कर लिया, लेकिन नारायण 60 प्रतिशत तक जल चुके थे।

घटना की सूचना मिलते ही खटीमा कोतवाली पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची। 108 एंबुलेंस की मदद से नारायण को खटीमा नागरिक चिकित्सालय ले जाया गया। अस्पताल में डॉ. मनी पुनियानी ने प्राथमिक उपचार किया, लेकिन नारायण की हालत इतनी गंभीर थी कि उन्हें तुरंत हल्द्वानी के हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। डॉक्टरों का कहना है कि उनके शरीर का 60 प्रतिशत हिस्सा जल चुका है, और उनकी स्थिति अत्यंत नाजुक बनी हुई है। तहसील परिसर में इस घटना के बाद सन्नाटा पसर गया, और भारी भीड़ जमा हो गई। लोग इस त्रासदी पर चर्चा करते हुए भावुक नजर आए।

जांच में सामने आया कि नारायण सिंह अपने पिता की खरीदी 46 बीघा जमीन के बंटवारे को लेकर तहसील आए थे। बताया जाता है कि पिता द्वारा जमीन का बंटवारा न किए जाने से वह लंबे समय से मानसिक तनाव में थे। यह तनाव इतना बढ़ गया कि उन्होंने तहसील परिसर में ही यह आत्मघाती कदम उठा लिया। यह घटना केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि उन असंख्य परिवारों की पीड़ा को दर्शाती है, जहां संपत्ति के बंटवारे जैसे मुद्दे रिश्तों को तार-तार कर देते हैं। नारायण का यह कदम उनके भीतर की हताशा और समाज में बढ़ते मानसिक दबाव का एक दुखद उदाहरण है।

खटीमा कोतवाली पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर नारायण को इस हद तक जाने के लिए क्या मजबूर किया। स्थानीय लोगों का कहना है कि नारायण एक मेहनती और शांत स्वभाव के व्यक्ति थे, लेकिन पारिवारिक विवाद ने उन्हें इस कदर तोड़ दिया कि उन्होंने अपनी जिंदगी को ही दांव पर लगा दिया। इस घटना ने न केवल खटीमा, बल्कि पूरे उत्तराखंड में एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है—क्या संपत्ति का लालच और पारिवारिक कलह इतना बड़ा रूप ले सकता है?

यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि हमें समय रहते एक-दूसरे के दर्द को समझना होगा। खटीमा के इस दुखद हादसे ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि संपत्ति और रिश्तों में से क्या ज्यादा कीमती है। नारायण सिंह की जिंदगी अब डॉक्टरों के भरोसे है।

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