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उत्तराखंड : दो जगह वोटर लिस्ट में नाम वालों के लिए ये है नियम, इन्होंने दी कोर्ट जाने की चेतावनी

उत्तराखंड : दो जगह वोटर लिस्ट में नाम वालों के लिए ये है नियम, इन्होंने दी कोर्ट जाने की चेतावनी

देहरादून : उत्तराखंड में जारी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के बीच मतदाता सूची को लेकर विवाद गर्माता जा रहा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर दोहरी वोटर लिस्ट में शामिल मतदाताओं और प्रत्याशियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मांग की है कि ऐसे सभी प्रत्याशियों को नामांकन प्रक्रिया से बाहर किया जाए, अन्यथा कांग्रेस न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से पीछे नहीं हटेगी।

माहरा ने पत्र में कहा है कि राज्य सरकार सितंबर 2019 के संशोधन अधिनियम का हवाला दे रही है, जबकि 10 दिसंबर 2019 को पारित संशोधित आदेश का अनुपालन नहीं हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के बावजूद निर्वाचन आयोग कथित रूप से आंखें मूंदे बैठा है।

क्या है मामला?

कांग्रेस का कहना है कि राज्य के कई ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे मतदाता हैं, जिनके नाम शहरी निकायों की वोटर लिस्ट में पहले से दर्ज हैं और उन्होंने पिछले नगर निकाय चुनावों में मतदान भी किया है। अब वे ही लोग त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भी भाग ले रहे हैं, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।

सितंबर 2019 के प्रारंभिक आदेश में यह प्रावधान था कि यदि किसी मतदाता का नाम शहरी क्षेत्र की सूची में है तो वह ग्राम पंचायत चुनाव में भी हिस्सा ले सकता है। लेकिन 10 दिसंबर 2019 को जारी संशोधित आदेश (धारा 9 के तहत) में यह स्पष्ट किया गया कि यदि कोई व्यक्ति शहरी निकाय की मतदाता सूची में शामिल है और वहां से नाम हटवाए बिना ग्राम सभा की वोटर लिस्ट में भी दर्ज है, तो उसे पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित किया जाएगा।

कांग्रेस की मांग

करन माहरा ने निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया है कि उक्त संशोधित आदेश का सख्ती से पालन कराया जाए और दोनों मतदाता सूचियों में दर्ज प्रत्याशियों को चुनाव प्रक्रिया से रोका जाए। उनका कहना है कि यदि आयोग निष्पक्ष कार्रवाई नहीं करता, तो कांग्रेस कानूनी विकल्प अपनाने को बाध्य होगी।

राजनीतिक पारा चढ़ा

इस मसले पर प्रदेश की सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का दावा है कि सरकार चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है, जबकि नियम और कानून की स्पष्ट अवहेलना हो रही है। अब देखना यह होगा कि निर्वाचन आयोग इस विवाद पर क्या रुख अपनाता है और क्या कार्रवाई करता है।

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