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उत्तराखंड: अपने-अपने गुट, अपनी-अपनी कांग्रेस!

पहाड़ समाचार डेस्क 

उत्तराखंड में कांग्रेस कहने का राष्ट्रीय पार्टी है। लेकिन, जो हालात कांग्रेस में नजर आ रहे हैं। उससे वो पार्टी कम गुटों और धड़ों में लोगों का जमावड़ा ज्यादा नजर आ रही है। कांग्रेस ने पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बदला। नये चेहरे का कमान सौंपी। कांग्रेस अध्यक्ष करना माहरा ने काफी प्रयास भी किए, लेकिन कांग्रेस के बेलगाम नेताओं पर उनकी लगाम भी काम नहीं आई।

कांग्रेस में अब जितने बड़े नेता हैं। उतने ही गुटों में सबकी अपनी-अपनी कांग्रेस नजर आ रही है। कांग्रेस की इस गुटबाजी पर भाजपा कह रही है कि ये डूबती हुई कांग्रेस है। उनका नारा भी है कि कांग्रेस डूबता हुआ जहाज है। जिस तरह से हालात हैं, उससे ऐसा नजर भी आ रहा है। खासकर उत्तराखंड में तो कांग्रेस डूबता जहाज ही साबित हो रही है। क्या कांग्रेस को कोई ऐसा नाविक मिलेगा, जो उनके डूबते जहाज को किनारे लगा सकेगा।

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कांग्रेस बेड़े नेताओं में सुमार प्रीतम सिंह अलग राह पर चलते नजर आ रहे हैं। प्रीतम सिंह ने सचिवालय कूच बुलावा। उनके कूच में पार्टी के 14 विधायक जरूर शामिल हुए, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष को उनके कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं थी। ऐसा करन माहरा ने बयान भी दिया था। कांग्रेस संगठन ने एक तरह से प्रीमत सिंह से किनारा कर लिया है।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो कांग्रेस की ये जंग लोकसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी की ओर जाती नजर आ रही है। प्रीतम सिंह अपने बेटे के लिए लॉन्चिंग पैड की तलाश में हैं। पिछले दिनों उनके बेटे ने कांग्रेस कार्यकारिणी से इस्तीफा भी दे दिया था। प्रीतम के तेवर भी तल्ख नजर आए। पार्टी के कार्यक्रमों से लगातार नदारद नजर आए। इससे यही अटकलें लगाई जा रही हैं कि प्रीतम सिंह कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। माना जा रहा है कि वो लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कोई ऐसा कदम उठाएंग, जिससे कांग्रेस पूरी तरह से बिखर जाएगी।

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एक और सीन को क्रिएट हो रहा है। वह कांग्रेस को दो हिस्सों गढ़वाल और कुमाऊं में बांटती हुई नजर आ रही है। हालांकि, उसमें भी गढ़वाल के दो हिस्से हैं। एके हिस्से के अधिकांश लोग प्रीतम के साथ हैं। जबकि, दूसरे हिस्से के अधिकांश लोग या तो पार्टी के साथ हैं या फिर न्यूट्रल नजर आ रहे हैं।

जबकि, कुमाऊं मंडल के नेताओं ने पूरी तरह से दूरी बनाए रखी। सचिवालय कूच में भी कुछ इसी तरह का नजारा दिखा। कूच में उत्तरकाशी जिले के जौनसार और बावर से लगे इलाके के अधिक लोग नजर आए। वहीं, टिहरी जिले के भी टिहरी लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले उन क्षेत्रों के अधिक लोग थे, जहां प्रीतम सिंह का प्रभाव माना जाता है।

-प्रदीप रावत (रवांल्टा)

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