उत्तराखंड: हरक के दिल को चुभ गई सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, लिखी चिट्ठी…कह दी बड़ी बात!
उत्तराखंड: हरक के दिल को चुभ गई सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, लिखी चिट्ठी…कह दी बड़ी बात!
देहरादून: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत लगातार सुर्खियों में हैं। उनके खिलाफ कॉर्बेट पार्क की पोखरों रेंज में पेड़ कटान मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी हरक सिंह रावत के दिल्ली को चुभ गई। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को अपने दिल्ली का हाल बताया है। साथ ही यह दावा भी किया है कि उन्होंने 6 पेड़ तो दूर एक टहनी तक नहीं कटवाई।
साथ यह दावा भी किया है कि अगर कोई यह साबित कर दे, तो कोई सजा भुगतने को तैयार हैं। इतना ही नहीं हरक सिंह रावत ने यहां तक कहा है कि उनके खिलाफ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को गलत रिपोर्ट देने की जांच की जाए और दोषियों को सजा दी जाए। अब देखना होगा कि हरक सिंह रावत की चिट्ठी का सुप्रीम कोर्ट पर क्या असर होता है। उनकी चिट्ठी सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। उसी चिट्ठी को हम आपको पढ़ा रहे हैं।
हरक सिंह रावत की चिट्ठी
मा. मुख्य न्यायाधीश, सर्वाेच्च न्यायालय, नई दिल्ली।
विषय रू माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नेशनल कॉर्बेट पार्क, के अंतर्गत पाखरौ टाइगर सफारी के निर्माण में पेड़ कटान तथा निर्माण को लेकर की गई टिप्पणी के संबंध में।
मा. महोदय,
मेरा जन्म उत्तराखंड के पौड़ी ज़िले के अत्यंत दुर्गम ग्राम गहड़ में हुआ, जहां बिजली, पानी, सड़क का भी अभाव था। जहां मैंने बेहद कठिन परिस्थितियों में जीवनयापन करके कक्षा 8 तक घनघोर जंगल से स्कूल जाकर अपनी शिक्षा ग्रहण की है। स्नातक में गढ़वाल विश्वविद्यालय और पीजी में रुहेलखंड विश्वविद्यालय से गोल्ड मेडल प्राप्त किया तथा वर्ष 1985 में उच्च शिक्षा आयोग के द्वारा मेरी नियुक्ति सहायक प्रोफेसर के रूप में एके कॉलेज शिकोहाबाद, आगरा विश्वविद्यालय में हुई।
एक वर्ष बाद पुनः गढ़वाल विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर में तैनाती हुई। छात्र जीवन से ही बलि प्रथा, पर्यावरण, जीव जन्तुओं के संरक्षण के लिए सामाजिक/राजनैतिक मंचों पर संघर्ष किया, गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र के रूप में पर्यावरण व ग्रामीण जीवन पर कविताएं लिखी एवं गढ़वाल विश्वविद्यालय की ओर से अंतर विश्वविद्यालयीय वाद विवाद प्रतियोगिता/कविता प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व किया तथा पुरस्कार प्राप्त किया, मुझे गढ़वाल विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ के महामंत्री के रूप में भी काम करने का मौका मिला, मुझे उत्तराखंड की जनता ने 28 वर्ष की उम्र में उत्तर प्रदेश की विधानसभा सदस्य के रूप में व पर्यटन राज्य मंत्री के रूप में जनता की सेवा करने का मौक़ा मिला। यही नहीं 6 बार मुझे उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड की विधानसभा में सदस्य के रूप में काम करने का मौक़ा मिला और विपक्ष के नेता तथा उत्तर प्रदेश खाद्य ग्राम उद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष तथा 7 बार मंत्री के रूप में शपथ लेने के साथ-साथ विभिन्न विभागों में काम करने का मौक़ा मिला।
मा० महोदय,
पिछले 43 वर्ष के सामाजिक/राजनैतिक जीवन में उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड के जीव जंतुओं का संरक्षण व पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए लगातार काम करता रहा। जहां छोटी सी नौकरी या व्यवसाय करने वाला व्यक्ति अपने गांव को छोड़ देता है, ऐसे में मैंने विश्वविद्यालय की उच्चसेवा तथा मंत्री व विधायक होने के बाद भी अपने गांव को नहीं छोड़ा है। अपने गांव के खेत खलियान में आंवला, आम, बांस, तमाम फल की प्रजाति के वृक्ष सिर्फ खानापूर्ति के लिए नहीं लगाए, इन्हें कोई मेरे गांव में जाकर देख सकता है। मैंने केवल भाषणों में पर्यावरण की बात नहीं की है।
मा० महोदय,
जब इंसान का प्रदेश और राष्ट्र की व्यवस्था पर भरोसा उठ जाता है तो उसका भरोसा देश के सर्वाेच्च न्यायालय, जिसे देश के लोग न्याय के मंदिर के रूप में पूजते हैं। पाखरो टाइगर सफारी की स्थापना के दौरान पेड़ कटान तथा निर्माण को लेकर मा० सर्वाेच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मुझ को लेकर जो टिप्पणी की है, उससे मैं बहुत आहत हुआ हूं, क्योंकि बिना मेरा पक्ष जाने जब देश के सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा इस प्रकार की टिप्पणी की जाती है तो इस देश के संविधान व न्यायव्यवस्था पर भरोसा कठिन हो जाता है।
मा० महोदय,
आज में दुखी मन से आप से आग्रह कर रहा हूं कि पाखरो टाइगर सफ़ारी में 06 हजार पेड़ तो क्या अगर एक टहनी भी कोई साबित कर दे कि मैंने कटवाई है, तो मैं हर सज़ा भुगतने को तैयार हूं। सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा टिप्पणी ऐसे समय पर की गई है, जब लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया गतिमान है, जिससे मेरी छवि प्रदेश और देश में खराब हुई है और इसकी भरपाई शायद ईडी, सीबीआई तथा सर्वाेच्च न्यायालय भी नहीं कर सकता, मैं चाहता हूं की इस पूरे प्रकरण की शीघ्र निष्पक्ष जांच करके दूध का दूध और पानी का पानी किया जाए तथा जिन एजेंसियों से ग़लत रिपोर्ट उच्च न्यायालय नैनीताल और सर्वाेच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई है, उनको भी इस जांच के दायरे में लाया जाए कि किन परिस्थितियों में और किस लाभ के लिए एक सामाजिक/राजनैतिक कार्यकर्ता का चरित्रहरण और मानसिक उत्पीड़न किया गया है। विभिन्न मीडिया प्रिंट/डिजिटल द्वारा बिना तथ्यों की वास्तविकता को जाने लेख व समाचार प्रसारित किए गए, जो सामान्य जनता के समक्ष मुझे दोषी सिद्ध करने का प्रयास है। इस सब में मुझे कमज़ोर करने के लिए मेरे परिवार पर भी आरोप/जांच की जा रही है।
मैं न्याय की अंतिम किरण के रूप में आपसे उम्मीद करता हूं, आप मेरा भी पक्ष रखने का पूर्ण अवसर देंगे, मैं सदा आपका आभारी रहूंगा।
भवदीय
डॉ हरक सिंह रावत, डी-12, सेक्टर 1 डिफेंस कॉलोनी, देहरादून, उत्तराखंड।
उत्तराखंड: हरक के दिल को चुभ गई सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, लिखी चिट्ठी…कह दी बड़ी बात!