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गैरसैंण विधानसभा सत्र का दूसरा दिन: विधानसभा भवन में सोए विपक्ष के विधायक, ये है आज का एजेंडा

गैरसैंण विधानसभा सत्र का दूसरा दिन: विधानसभा भवन में सोए विपक्ष के विधायक, ये है आज का एजेंडा

गैरसैंण/भराड़ीसैंण : उत्तराखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र का दूसरा दिन विपक्ष के रातभर चले धरने और सत्तापक्ष-विपक्ष के टकराव के बीच शुरू हुआ। मंगलवार को लगातार हंगामे के चलते कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी, इसी दौरान सरकार ने 5,315 करोड़ का अनुपूरक बजट सदन में पेश कर दिया और 9 विधेयक भी टेबल किए। बुधवार को सरकार इन्हें पारित कराने के मूड में है, जबकि कांग्रेस विधायक नैनीताल पंचायत चुनाव हिंसा के मुद्दे पर डटे हुए हैं और अपनी तीन प्रमुख माँगें,, नैनीताल डीएम का तबादला, एसएसपी का निलंबन और कांग्रेस नेताओं पर दर्ज मुकदमों की वापसी दोहरा रहे हैं।

14 अगस्त को हुए नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख चुनावों के दौरान गोलीबारी, मारपीट और निर्वाचित सदस्यों के अपहरण जैसे आरोपों ने मामला तूल पकड़ लिया था। हाई कोर्ट ने भी पुलिस-प्रशासन पर सख्त टिप्पणी करते हुए पुनर्मतदान और विशेष निगरानी जैसे कदम उठाने को कहा। इसके बाद सरकार ने बीटलगाड़ थानाध्यक्ष को निलंबित किया, भवाली सीओ पर विभागीय जांच बैठाई और कई मामलों की सीबी-सीआईडी जांच शुरू करवाई। लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है और जिम्मेदारी शीर्ष स्तर पर तय होनी चाहिए।

इससे पहले मंगलवार को कांग्रेस विधायकों ने वेल में नारेबाजी, कागज फाड़ने जैसी हरकतें कीं और रातभर सदन परिसर में ही धरने पर बैठे रहे। स्पीकर की अपील और संसदीय कार्यमंत्री की चेतावनी के बावजूद गतिरोध जारी रहा। सरकार का आरोप है कि विपक्ष आपदा के समय में सदन को ठप कर रहा है, जबकि विपक्ष का कहना है कि कानून-व्यवस्था और नैनीताल प्रकरण पर ठोस कार्रवाई पहले होनी चाहिए। इसी हंगामे के बीच सरकार ने अनुपूरक बजट और विधेयक पेश कर दिए और सदन की कार्यवाही बुधवार सुबह 11 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।

आज सरकार का एजेंडा अनुपूरक बजट और विधेयकों को पारित कराने का है, जबकि विपक्ष बिना लिखित आश्वासन और ठोस कार्रवाई के सदन चलने देने के मूड में नहीं दिख रहा। चार दिन निर्धारित इस सत्र का भविष्य इसी टकराव पर टिका है। नैनीताल की चुनावी तस्वीर में भाजपा की दीपा डर्मवाल ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद जीता, जबकि उपाध्यक्ष पद कांग्रेस के खाते में गया—हालांकि पूरी प्रक्रिया हिंसा, गोलीबारी और निर्वाचित सदस्यों के “लापता” होने के आरोपों से घिरी रही, और यही विवाद अब विधानसभा सत्र का ईंधन बन गया है।

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