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उत्तराखंड पंचायत चुनाव: भंडारी परिवार की दूसरी हार, कांग्रेस छोड़ने के बाद गिरा सियासी ग्राफ, इस बार पूर्व फौजी ने किया बड़ा उलटफेर

उत्तराखंड पंचायत चुनाव: भंडारी परिवार की दूसरी हार, कांग्रेस छोड़ने के बाद गिरा सियासी ग्राफ, इस बार पूर्व फौजी ने किया बड़ा उलटफेर

चमोली : उत्तराखंड पंचायत चुनाव के नतीजों ने जहां कई पुराने समीकरणों को बदल दिया है, वहीं चमोली जिले की रानों जिला पंचायत सीट से आए एक चौंकाने वाले परिणाम ने सबको चौंका दिया। यहां पूर्व सैनिक लक्ष्मण खत्री ने सियासत के दिग्गजों को धूल चटाते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी की पत्नी और निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को 479 वोटों से करारी शिकस्त दी है।

यह हार सिर्फ एक प्रत्याशी की नहीं, बल्कि पूरे एक राजनीतिक परिवार की साख पर सीधा प्रहार माना जा रहा है। रजनी भंडारी पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी की पत्नी हैं, जो हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। उनकी इस राजनीतिक घर वापसी के बाद पहले ही बद्रीनाथ विधानसभा उपचुनाव में उन्हें कांग्रेस के लखपत बुटोला से हार का सामना करना पड़ा था। अब पंचायत चुनाव में उनकी पत्नी की पराजय ने उनके राजनीतिक ग्राफ को और गिरा दिया है।

पूर्व फौजी लक्ष्मण खत्री की जीत को आम जनता के बीच उनकी सादगी, सेवा और ज़मीनी जुड़ाव का नतीजा माना जा रहा है। गांव-गांव जाकर संपर्क साधने और स्थानीय मुद्दों को लेकर की गई उनकी स्पष्ट बातों ने मतदाताओं को काफी प्रभावित किया। वहीं रजनी भंडारी के हारने के पीछे स्थानीय स्तर पर गहराती नाराजगी और परिवार की लगातार सक्रिय राजनीति से उपजा असंतोष एक बड़ा कारण माना जा रहा है।

इस सीट से एक और अहम बात यह रही कि भाजपा के चमोली जिलाध्यक्ष गजपाल बर्तवाल भी इस मुकाबले में पिछड़ गए और चौथे स्थान पर रहे। यह भाजपा के लिए जिले में गंभीर संदेश की तरह देखा जा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रानों सीट से यह परिणाम न सिर्फ पंचायत स्तर की राजनीति के समीकरणों को बदलने वाला है, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों में भी इसकी गूंज सुनाई दे सकती है। भंडारी परिवार की लगातार हारों ने उनकी पकड़ कमजोर की है, जबकि जमीनी कार्यकर्ताओं और नए चेहरों को अब मौका मिलता दिख रहा है।

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