
“थामा” रिव्यू: हॉरर-कॉमेडी का मजेदार मिश्रण
- रजत तलवार
फिल्म “थामा” ने रिलीज के सिर्फ 9 दिनों में भारत में ₹104-105 करोड़ नेट कमाई कर ली है, जबकि ग्लोबल कलेक्शन ₹143 करोड़ के करीब पहुंच चुका है। दिवाली छुट्टियां और टिकट डिस्काउंट ने फिल्म को धमाकेदार शुरुआत दी। मैडॉक हॉरर-कॉमेडी यूनिवर्स (स्त्री, भेड़िया) का हिस्सा होने से फिल्म को पहले से ही दर्शकों की उम्मीद थी।
प्लस पॉइंट्स: स्टारकास्ट और टेक्निकल ब्रिलियंस
आयुष्मान खुराना डार्क ह्यूमर में एक्सपेरिमेंटल, ईमानदार और कॉमिक टाइमिंग के साथ चमके। रश्मिका मंदाना फ्रेश और एनर्जेटिक लगीं, ‘पुष्पा’, ‘एनिमल’ के बाद फिर 100 करोड़ क्लब में शामिल। नवाजुद्दीन सिद्दीकी का विलेन रोल इंटेंस और इर्रेसिस्टेबल, उनकी डायलॉग डिलीवरी दर्शकों को पसंद आई। सिनेमैटोग्राफी और सचिन-जिगर का म्यूजिक फिल्म को टेक्निकली मजबूत बनाता है। नोरा फतेही और मलाइका अरोड़ा के स्पेशल गाने हाइलाइट रहे।
माइनस पॉइंट्स: स्क्रिप्ट और टोन में कमजोरी
कहानी की शुरुआत 323 BC से भ्रमित करने वाली है। स्क्रीनप्ले में सोशल इश्यूज का जबरन इंसर्ट मूल कहानी को कमजोर करता है। टोन में स्थिरता की कमी – कभी हॉरर, कभी हल्की कॉमेडी। सेकंड हाफ लंबा और खिंचता हुआ लगता है। यूनिवर्स कनेक्ट करने के चक्कर में फोकस बिखर जाता है। संवाद प्रभावशाली हैं, लेकिन गहराई और नवाचार की कमी खलती है।
वर्डिक्ट: हिट, लेकिन परफेक्ट नहीं
“थामा” हॉरर-ह्यूमर फैंस के लिए परफेक्ट वीकेंड वॉच है। स्टार पावर और बिजनेस जबरदस्त, लेकिन अस्थिर कथावाचन और स्क्रिप्ट की कमजोरी इसे और हिट होने से रोकती है। रेटिंग: 3.5/5 – मजेदार, लेकिन और बेहतर हो सकती थी!

