SC, ST और OBC के लिए बड़ी खबर, अब इन नौकरियों में भी मिलेगा आरक्षण!
SC, ST और OBC के लिए बड़ी खबर, अब इन नौकरियों में भी मिलेगा आरक्षण!
हाल ही में बिहार में हुई जातीय गणना का साइड इफेक्ट नजर आने लगा है। केंद्र सरकार ने कोर्ट में एक रिट याचिका के जवाब में कुछ ऐसी बातें कही हैं, जिससे कॉट्रैक्ट वाली नौकरियों में भी आरक्षण का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। माना जा रहा है कि इसको लेकर जल्द ही सरकार आधिकारिक फैसला भी ले सकती है। ऐसे में आरक्षण कोे लेकर उठ रहे सवालों का जवाब देने के लिए मोदी सरकार ने यह दांव चला है।
आगामी विधानसभा चुनावों से पहले सत्तारूढ़ पार्टी BJP ने बड़ा दांव खेला है। अब सरकारी मंत्रालयों और विभागों में कॉन्ट्रैक्ट नौकरियों में भी अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण दिया जाएगा। यह फैसला जातीय जनगणना कराने की हो रही मांग के बीच आया है।
रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने आरक्षण की मांग करने वाली एक रिट याचिका का जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सरकारी विभागों में 45 दिन या इससे अधिक की कॉन्ट्रैक्ट नौकरी में SC, ST और OBC को आरक्षण दिया जाएगा। केंद्र ने यह भी कहा कि सभी मंत्रालयों और विभागों को अस्थायी पदों पर आरक्षण को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
केंद्र सरकार के पदों और सेवाओं में नियुक्तियों के संबंध में, अस्थायी नियुक्तियों में SC, ST और OBC उम्मीदवारों को आरक्षण दिया जाएगा, जो 45 या उससे अधिक समय तक चलेगा। SC और ST के कल्याण पर संसदीय समिति की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। इसमें यह पाया गया है कि अस्थायी नौकरियों में आरक्षण के निर्देशों का अक्षरश: पालन सभी विभाग नहीं कर रहे हैं।
केंद्र ने सभी मंत्रालयों और विभागों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि 45 दिनों या उससे अधिक समय तक चलने वाली सभी अस्थायी नियुक्तियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण दिया जाएगा। इन निर्देशों को पालन करने के लिए सभी संबंधितों को सूचित करना चाहिए।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने रिट याचिका का निपटारा करते हुए स्पष्ट किया कि यदि इस कार्यालय ज्ञापन का उल्लंघन होता है तो याचिकाकर्ता या पीड़ित पक्ष कानून ने अनुसार उचित उपाय का सहारा लेने के लिए स्वतंत्र होगा। इसके साथ ही, पीठ ने केंद्र की ओर से पेश वकील का बयान दर्ज किया।
इस बयान में कहा गया है कि 21 नवंबर 2012 के कार्यालय ज्ञापन का पालन करने में विफलता के मामलों से निपटने के लिए एक सिस्टम मौजूद है। अस्थायी नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था 1968 से लागू है। इस संबंध में 2018 और 2022 में निर्देश भी जारी किए गए हैं।
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