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किसी की कॉल रिकॉर्डिंग करना पहुंचा सकता है जेल, इस बात को हल्के में ना लें…

किसी की कॉल रिकॉर्डिंग करना पहुंचा सकता है जेल, इस बात को हल्के में ना लें…

किसी की कॉल रिकॉर्डिंग करना पहुंचा सकता है जेल, इस बात को हल्के में ना लें…

कानून

आप जब भी किसी को कॉल करते हैं, तो हमेशा यह डर बना रहता है कि कोई आपकी कॉल रिकॉर्डिंग तो नहीं कर रहा है? कहीं कोई आपकी बातों को सार्वजनिक तो नहीं कर देगा? क्योंकि ऐसे मामले अक्सर सामने आते रहते हैं। कई कॉल रिकॉर्डिंग आप आए-दिन सुनते भी रहते हैं। लेकिन, अगर किसी ने शिकायत की तो आपका जेल जाना तय है। जानें हम ऐसा क्यों कह रहे हैं?

भारत में फोन पर कॉल रिकॉर्डंग को लेकर लोग काफी परेशान रहते हैं। कोई कॉल रिकॉर्डिंग करने के लिए परेशान है तो कोई किसी और के कॉल रिकॉर्डिंग करने के खतरे से परेशान है। आईफोन वाले इस बात से परेशान रहते हैं कि उनके फोन में कॉल रिकॉर्डिंग की सुविधा ही नहीं है। यदि आप भी इनमें से किसी भी कैटेगरी में आते हैं तो यह खबर आपके बहुत ही काम आने वाली है।

अब फोन पर किसी के कॉल को रिकॉर्ड करना महंगा पड़ सकता है। यह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है और इसके लिए आपके खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 72 के तहत कार्रवाई हो सकती है।

फोन टैपिंग को लेकर कई केस होते भी रहते हैं। नीरा राडिया फोन टैपिंग केस का इतिहास उठाकर देख लीजिए। इसमें सुप्रीकोर्ट ने बाकायदा गाइडलाइन दी थी। अब एक ताजा मामला सामने आया है। ये मामला छत्तीसगढ़ का है और बेहद रोचक भी है।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पति-पत्नी के बीच विवाद का एक मामला सामने आया था। इस विवाद की वजह मोबाइल रिकॉर्डिंग था और उसी मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि किसी भी सूरत में कॉल रिकॉर्डिंग को साक्ष्य के तौर पर अदालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट के मुताबिक बिना मंजूरी मोबाइल फोन कॉल को रिकॉर्ड करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस फैसले को भी रद्द कर दिया है, जिसमें सबूत के तौर पर रिकार्डिंग को पेश करने की इजाजत दी गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता पत्नी से हुई बातचीत को उनकी जानकारी के ने चुपचाप रिकॉर्ड कर लिया। यह कारगुजारी संवैधानिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।

ये है पूरा मामला
यह पूरा मामला छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले का है। यहां पत्नी ने फैमिली कोर्ट में पति से गुजारा भत्ता दिलाने के लिए आवेदन किया था जिसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट में पत्नी की बातचीत की रिकार्डिंग करने और उसे कोर्ट में साक्ष्य के रूप में पेश करने की मंजूरी मांगी थी। पति ने पत्नी के चरित्र पर भी आरोप लगाया था। पति की इस मांग को फैमिली कोर्ट ने स्वीकार करते हुए रिकॉर्डिंग को साक्ष्य के तौर पर लिया। फैमिली कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

ये है कानूनी प्रावधान
यदि अगर किसी की इजाजत के बिना मोबाइल या फोन रिकॉर्ड की जाती है तो वह आईटी एक्ट-2000 की धारा 72 का उल्लंघन है। इसके तहत किसी भी इलेक्ट्रानिक डिवाइस के जरिए व्यक्ति की मंजूरी के बिना उससे जुड़ी सूचना, दस्तावेज या अन्य सामग्री हासिल करना और उसे उसकी मंजूरी या जानकारी के बिना सार्वजनिक करना धारा-72 का उल्लंघन है। इसके तहत दो साल की सजा और एक लाख जुर्माने का प्रावधान है।

किसी की कॉल रिकॉर्डिंग करना पहुंचा सकता है जेल, इस बात को हल्के में ना लें…

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