
उत्तराखंड: हरियाली के लिए मिला बजट, खर्च किए आईफोन, लैपटॉप और फ्रिज-कूलर पर!
देहरादून: उत्तराखंड में हरियाली और वन संरक्षण के लिए मिली कैंपा (प्रतिकारात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण) की राशि का मनमाने ढंग से दुरुपयोग किए जाने का बड़ा खुलासा हुआ है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019-20 से 2021-23 के दौरान इस फंड से 13.86 करोड़ रुपये की धनराशि अनियमित कार्यों में खर्च की गई। इस धनराशि से आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, कूलर, स्टेशनरी जैसी सामग्रियों की खरीद की गई, जो इस फंड के निर्धारित उद्देश्यों के विपरीत है।
कैग रिपोर्ट का बड़ा खुलासा कैग ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि कैंपा फंड का उपयोग उत्तराखंड में हरियाली बढ़ाने, वनीकरण और वन्यजीव संरक्षण के लिए किया जाना था, लेकिन इसे गलत मदों में खर्च कर दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार, हरेला योजना, टाइगर सफारी कार्यों और व्यक्तिगत यात्राओं में भी इस निधि का इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा, वन विभाग के अधिकारियों ने न्यायालय वाद प्रकरणों और वन चौकियों के निर्माण के लिए भी इस धनराशि का मनमाना उपयोग किया। एकीकृत वन चौकियों के लिए 27.09 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई, जबकि वन प्रभागों से इसकी कोई मांग नहीं की गई थी।
राज्य सरकार का रवैया संदिग्ध कैग रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार से इस गड़बड़ी पर जवाब मांगा गया, लेकिन संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। सरकार ने सभी खर्चों को वार्षिक कार्ययोजना के अनुरूप बताया, जिसे कैग ने अस्वीकार्य करार दिया। खासकर कालागढ़ टाइगर रिजर्व, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और लैंसडाउन वन प्रभाग से जुड़ी अनियमितताओं पर कोई ठोस उत्तर नहीं दिया गया।
पहले भी हो चुका है घोटाला यह पहली बार नहीं है जब कैंपा फंड में गड़बड़ी उजागर हुई हो। इससे पहले 2006 से 2012 के बीच भी इस फंड के दुरुपयोग की घटनाएं सामने आई थीं। उस दौरान 212.28 करोड़ रुपये की कम वसूली का मामला सामने आया था। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के प्लैटिनम जुबली समारोह पर कैंपा निधि से 35 लाख रुपये खर्च किए गए थे, जबकि यह व्यय वार्षिक कार्ययोजना में स्वीकृत नहीं था।
वन मंत्री ने दिए जांच के आदेश वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इस मामले पर कहा, “यह मामला मेरे कार्यकाल से पहले का है, लेकिन इसकी गहराई से जांच कराई जाएगी। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।”