देहरादून: उत्तराखंड की जेलों से सजा पा चुके और सजा पाने के करीब पहुंचे 84 कैदी लापता हो गए हैं। इनके बारे में किसी को पता नहीं है कि ये कहां गए हैं? दरअसल, इन सभी कैदियों को कोरोना की दूसरी लहर के दौरान छोड़ा गया था, लेकिन इसके बाद इनकी कोई खबर नहीं है। इससे जेल और खुफिया विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।

उत्तराखंड की विभिन्न जेलों से 198 कैदियों को पहले तीस दिन के निजी बांड पर रिहा किया गया। कोर्ट ने इसके बाद उक्त अवधि दो और बार आगे बढ़ाई, यानि कैदियों को कुल 90 दिन की रिहाई मिली थी। इसके बाद उन्हें खुद वापस आना था। लेकिन, इसमें से 84 कैदी अब तक वापस नहीं लौट पाए हैं। जबकि

रिहाई के डेढ़ साल बाद तक जेल विभाग से लेकर स्थानीय पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों को इनकी भनक नहीं लग पा रही है। इस बारे में सम्पर्क करने पर अपर सचिव गृह अतर सिंह ने बताया कि उस समय कोर्ट के आदेश पर कैदियों को छोड़ा तो गया था, लेकिन इसके बाद कितने कैदी वापस नहीं आए इसकी रिपोर्ट जेल मुख्यालय ने नहीं दी है। इस बारे में जल्द रिपोर्ट तलब की जाएगी।

सूत्रों के अनुसार इसमें ज्यादातर कैदी ऐसे थे जिन्हें कोर्ट से अंतिम तौर पर दोषी पाए जाते हुए सजा सुनाई जा चुकी है। कुछ की अभी दो से तीन साल तक की जेल अवधि बची हुई है। लेकिन कोविड के दौरान मानवीय आधार पर मिली राहत का लाभ उठाते हुए अब वो कानून के शिकंजे से दूर हो गए हैं। जेल विभाग या प्रशासन के द्वारा इस मामले को बेहद हल्के में लिया गया।