उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) के प्रमुख प्रावधान
उत्तराखंड सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code, UCC) को लागू करने की घोषणा कर दी है। यह कदम नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, और लिव-इन संबंधों से जुड़े नियमों को एकीकृत करेगा। अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) को छोड़कर, यह संहिता पूरे राज्य और राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों पर लागू होगी।
मुख्य बिंदु:
1. प्रशासनिक ढांचा:
– रजिस्ट्रार जनरल: सचिव स्तर के अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा। इनके पास रजिस्ट्रार/सब-रजिस्ट्रार के आदेशों के खिलाफ 60 दिनों में अपील सुनने का अधिकार होगा।
– रजिस्ट्रार और सब-रजिस्ट्रार:
– ग्रामीण क्षेत्र: एसडीएम और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी।
– नगरीय क्षेत्र: नगर पालिका में कार्यकारी अधिकारी और नगर निगम में कर निरीक्षक।
– छावनी क्षेत्र: सीईओ और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर।
2. विवाह पंजीकरण:
– 26 मार्च 2010 से अब तक हुए विवाह: संहिता लागू होने की तिथि से 6 महीने के भीतर पंजीकरण अनिवार्य।
– नए विवाह: विवाह की तिथि से 60 दिन के भीतर पंजीकरण कराना होगा।
3. लिव-इन संबंध
– मौजूदा संबंध: संहिता लागू होने के 1 महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा।
– नए संबंध: संबंध शुरू होने के 1 महीने के भीतर पंजीकरण अनिवार्य।
– समाप्ति एक साथी द्वारा आवेदन करने पर दूसरे साथी की पुष्टि आवश्यक। गर्भावस्था की स्थिति में रजिस्ट्रार को तुरंत सूचित करना होगा।
4. तलाक और विवाह विच्छेद
– तलाक के आवेदन में विवाह पंजीकरण प्रमाण, कोर्ट केस नंबर, बच्चों का विवरण और अदालती आदेश की कॉपी जमा करनी होगी।
5. वसीयत और उत्तराधिकार
– वसीयत तीन तरीकों से बनाई जा सकेगी:
– ऑनलाइन फॉर्म भरकर।
– हस्तलिखित/टाइप्ड दस्तावेज़ अपलोड करके।
– 3 मिनट की वीडियो रिकॉर्डिंग में मौखिक वसीयत।
6. अपील और शिकायत
– सब-रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ **30 दिन** के भीतर रजिस्ट्रार और फिर रजिस्ट्रार जनरल के पास अपील की जा सकेगी।
– ऑनलाइन पोर्टल या ऐप के माध्यम से शिकायत दर्ज करने का प्रावधान।
जुर्माना और निगरानी
– नियमों का उल्लंघन करने या समय सीमा में आवेदन न करने पर जुर्माना लगेगा।
– पंजीकरण में गड़बड़ी या अधूरी जानकारी मिलने पर माता-पिता/अभिभावकों को सूचित किया जाएगा।