केदारनाथ उपचुनाव: BJP-कांग्रेस में मंथन, किसके नाम पर लगेगी मुहर, ऐसा रहा सीट का इतिहास
- पहाड़ समाचार
देहरादून: केदारनाथ उप चुनाव 20 नवंबर को होना है। तारीखों का ऐलान हो चुका है। जुबानी जंग जारी है। BJP-कांग्रेस लगातार अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। लेकिन, अब तक किसी भी दल ने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है। BJP प्रत्याशी चयन के लिए पैनल आलाकमान को भेज चुकी है। वहीं, कांग्रेस में भी मंथन जारी है। यह सीट भाजपा विधायक शैला रानी रावत के निधन के बाद खाली हुई है।
राजनीतिक दल फिलहाल उलझन में नजर आ रहे हैं। अगर इस सीट पर BJP-कांग्रेस के पलड़े की बात करें तो यहां मुकाबला दोनों लगभग बराबर रहा है। राज्य गठन के बाद हुए विधानसभा चुनाव में 2002 में इस सीट से भाजपा की आशा नौटियाल ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने कांग्रेस की शैलारानी रावत को हराया था।
साल 2007 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर BJP की आशा नौटियाल और कांग्रेस के कुंवर सिंह नेगी आमने-सामने थे। इस बार भी बाजी आशा नौटियाल ने ही मारी। 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से शैलारानी रावत और बीजेपी से आशा नौटियाल आमने-सामने थीं। इस बार बाजी कांग्रेस की शैलारानी रावत ने मारी।
2017 में देश में मोदी लहर थी। हर कोई उम्मीद कर रहा था कि इस बार BJP इस सीट पर फिर जीत हासिल करेगी। लेकिन, इस पर कांग्रेस ने जीत हासिल की। उसका कारण यह माना गया कि 2016 में कांग्रेस में बगावत हुई और कांग्रेस की शैलारानी रावत ने भाजपा का दामन थाम लिया था। जिसके बाद BJP ने आशा नैटियाल का टिकट काट दिया और शैलारानी रावत को प्रत्याशी बनाया।
शैलारानी रावत के BJP में जाने के बाद कांग्रेस ने मनोज रावत को अपना प्रत्याशी बनाया। इधर, टिकट कटने से नाराज आशा नैटियाल निर्दलीय मैदान में उतर गई। जिसका सीधा लाभ कांग्रेस को मिला और कांग्रेस के मनोज रावत मोदी लहर में भी जीतने में सफल रहे।
साल 2022 में एक बार फिर BJP ने शैला रानी रावत को ही मैदान में उतारा। वहीं, कांग्रेस ने भी मनोज रावत पर ही दांव खेला। लेकिन, निर्दलीय प्रत्याशी कुलदीप रावत ने मुकाबले को त्रिकोंणीय बना दिया। हुआ यह कि कांग्रेस के मनोज रावत के मुकाबले कुलदीप को ज्यादा वोट मिले। जिसका फायदा भाजपा को मिला और एक बार फिर शैला रानी रावत विधायक बनी।
अब सवाल यह है कि शैला रानी रावत के बाद BJP इस सीट पर किस पर दांव लगाएगी। BJP में दावेदार कई हैं, लेकिन माना जा रहा है कि भाजपा दिवंगत विधायक के परिवार से ही किसी पर दांव लगा सकती है। वहीं, कांग्रेस में टिकट को लेकर घमासान मचा हुआ है। यहां नेताओं की अलग-अलग राय है। बैठकों में मंथन किया जा रहा है। मुहर किसके नाम पर लगती है, फिलहाल इसका सभी का इंतजार है।
इसमें BJP के लिए चिंता की बात यह है कि पिछले दिनों हुए दो सीटों के उपचुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। BJP बद्रीनाथ और मंगलौहर का उपचुनाव हार गई थी। केदारनाथ चुनाव BJP हर हाल में जीतना चाहेगी। इस सीट पर चुनाव जीतने का असर आने वाले निकाय चुनावों पर भी देखने को मिल सकता है। ऐसे में BJP-कांग्रेस (INC) हर हाल में केदारनाथ उपचुनाव को जीतने पर फोकस किए हुए हैं।
केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव 20 नवंबर को होगा जबकि परिणाम की घोषणा 23 नवंबर को की जाएगी।उत्तराखंड के अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने यहां मंगलवार को संवाददाताओं को बताया कि केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए 22 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की जाएगी जबकि नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 29 अक्टूबर होगी।