उत्तराखंड : विपदा में गुलजार है जोशीमठ, यही तो हम पहाड़ियों की खासियत है…पढ़ें खास रिपोर्ट
- शशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
जोशीमठ को लेकर चिंताएं अभी समाप्त नहीं हुई। लेकिन, जोशीमठ फिर से जगमगा रहा है। जोशीमठ ने फिर साबित कर दिया कि उत्तराखंड के लोगों का जो इन पहाड़ों जैसा हौसला है, उसे कोई आपदा नहीं डिगा सकती है। जोशीमठ को लेकर मीडिया में चलाई गई खबरों और कुछ गलत रिपोर्टिंग भी की गई। उन तमाम पहलुओं पर वरिष्ठ पत्रकार शशि भूशण मैठाणी ‘पारस’ ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी है। अपनी पोस्ट की शुरूआत उन्होंने कुछ इस तरह से की है…।
- पाताल में समा जाएगा जोशीमठ !
- दूसरी पहाड़ी पर बसेगा जोशीमठ !
- नदी में समा जाएगा जोशीमठ !
- 50 मीटर गहरी हैं दरारें !
- यात्रा पर संकट
उनका मानना है कि इस तरह की बकवास हेडिंग और समाचार मीडिया संस्थानों ने सिर्फ अपने अपने फायदे के लिए पेश किए और लगातार कर भी रहे हैं। उन्होंने लिखा कि यह बात सही है कि जोशीमठ नगर के 3 वार्ड ऐसे हैं, जहां पर जमीन धंसी है और मकानों में दरारें भी आई हैं। लोगों के लिए बहुत बड़ी परेशानी का कारण भी बने हैं। फिर भी शासन-प्रशासन दिन-रात पीड़ितों की मदद के लिए मुस्तैद है। दूसरी तरफ अपने हक की लड़ाई को पीड़ित लोग संगठित होकर सामाजिक कार्यकर्ता अतुल सती के नेतृत्व में लोकतांत्रिक रूप से लड़ रहे हैं और आंदोलनरत भी हैं। अपनी मांगों व सुझावों को सरकार तक भी भेज रहे हैं।
अधिसंख्य मीडिया संस्थानों ने सिर्फ अपनी दुकान चलाने के लिए जोशीमठ का ऐसा ऑपरेशन कर डाला कि यहां आने वाले सैलानियों व यात्रियों के मनों में लंबे समय तक दहशत बैठ गई। जबकि बदरीनाथ यात्रा का मार्ग पूर्व की भांति यथावत है। रोजमर्रा की जिंदगी भी यथावत है। खूबसूरत औली की ढलानें सैलानियों के इंतजार में सूनी पड़ी हैं, जिसकी वजह है मीडिया की नकारात्मक रिपोर्टिंग।
हम भी पत्रकार हैं और हम सबको रिपोर्ट बनाते वक्त सभी पहलू सोचने होंगे। जोशीमठ का एक पहलू वो सैकड़ों परिवार हैं, जिनके सामने उनके घर टूट रहे हैं और लोग बिखर रहे हैं। मीडिया को उनकी परेशानियों को उजागर कर बात को पुख्ता तौर पर सरकार के सामने रखना चाहिए था।
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दूसरा पहलू यह भी कि जोशीमठ नगर की बड़ी आबादी, जिनकी संख्या हजारों में है और वह सुरक्षित भी हैं। उनके व्यापारिक प्रतिष्ठान दुकान, मकान होटल सब यथावत हैं। सुरक्षित भी हैं और सुरक्षित रहेंगे। लेकिन, मीडिया ने इतनी नकारात्मक समाचार देश-विदेश की जनता के सामने रखे कि आज हजारों लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। दरारों से पीड़ित परिवारों के साथ सरकार खड़ी है और होना भी चाहिए। लेकिन जो लोग पीड़ित ही नहीं थे, उनके सामने मीडिया ने संकट खड़ा कर दिया है।
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उन्होंने आगे लिखा…मैं फिर कह रहा हूँ कि जोशीमठ में आपदा है और उस पर सीएम, डीएम और वैज्ञानिक बराबर नजर बनाए हुए हैं। लेकिन, यह भी सोचिए कि कुछ ही दिनों के बाद बदरीनाथ यात्रा शुरू होगी तो हमें देशभर के आस्थावान लोगों को यह भी बताना होगा कि बदरीनाथ का मार्ग कहीं पर भी अवरुद्ध नहीं है। खुशी खुशी चले आओ बदरीनाथ धाम। हमें पत्रकारिता अपने फायदे के लिए नहीं बल्कि कायदे से करनी होगी। सभी पहलुओं को सामने रखकर खुले दिमाग से रिपोर्टिंग करनी होगी ।