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क्या केदारनाथ उपचुनाव फंस रहा है, BJP को सता रहा डर?

क्या केदारनाथ उपचुनाव फंस रहा है, BJP को सता रहा डर?

  • प्रदीप रावत ‘रवांल्टा’ 

बदरीनाथ और मंगलौर चुनाव के बाद अब केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव के लिए कुछ ही दिनों में वोटिंग होगी। लेकिन, उससे पहले चुनाव मैदान में भाजपा और कांग्रेस के बीच बयानबाजी के साथ ही फोटोबाजी भी हो रही है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट वोटों के लिए चंडीगढ़, मुंबई और दूसरे शहरों में भटकते हुए नजर आ रहे हैं। इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या भाजपा को हारने का डर है ? क्या भाजपा को हार की सुगबुगाहट लग चुकी है ? कहीं भाजपा को हार-जीत के अंतर के बहुत कम रहने का अनुमान तो नहीं है?

इन सभी सवालों के जवाब भी साफ हैं। जिस तरह से केदारनाथ उप चुनाव में भाजपा की स्थिति नजर आ रही है। उससे एक बात तो साफ है कि कहीं ना कहीं भाजपा को कुछ तो डर सता रहा है। इस वजह से भाजपा लगातार प्रयास कर रही है कि केदारघाटी के प्रवासी वोटरों को चुनाव के दिन वोट डलवाने के लिए वापस लाया जा सके!

इसके लिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लगातार प्रवासी वोटरों को रिझाने के लिए दूसरे शहरों में जा रहे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या सत्ताधारी दल भाजपा के लिए यह चुनाव फंस तो नहीं रहा है? क्या भाजपा को इनपुट मिल चुके हैं।

दिवंगत पूर्व विधायक शैलारानी रावत की बेटी ऐश्वर्या के साथ कांग्रेस के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की तस्वीरें वायरल हुई। उसके बाद भाजपा की प्रत्याशी आशा नौटियाल को भी ऐश्वर्या के साथ अपनी तस्वीरें शेयर करनी पड़ीं। इससे एक बात तो साफ है कि भाजपा को इस बात का डर है कि एश्वर्या के कारण उनको नुकसान हो सकता है।

केदारनाथ धाम में लोगों की दुकानों पर बुल्डोजर चलाए जाने को लेकर सबसे ज्यादा गुस्सा नजर आ रहा है, केदारनाथ मंदिर में सोना घोटाला प्रकरण से यहां के लोग दुखी हैं। दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बनाने का मुद्दा भी काफी गर्म रहा था। इसको लेकर कांग्रेस ने केदारनाथ प्रतिष्ठा यात्रा भी निकाली थी।

चुनाव की घोषणा होने से ठीक एक दिन पहले कराड़ों की योजनाओं की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की। बजट भी जारी किया गया। माना जा रहा है कि भाजपा को पहले से इस बात का अंदाजा था कि कुछ ना कुछ केदारघाटी की जनता के मन है, जिसका सीधा असर चुनाव में देखने को मिल सकता है।

एक और बड़ा सवाल यह है कि जिस तरह से प्रधानों के चुनाव में प्रवासियों को वोटिंग के लिए अपने गांवों में लाया जाता है। क्या भाजपा की स्थिति ऐसी हो गई है कि अब प्रवासी वोटरों को बसों में भरकर वोटिंग के लिए लाया जाएगा। कहीं ना कहीं यह भाजपा की कमजोरी को साबित कर रहा है।

दूसरी ओर कांग्रेस यहां एकजुट नजर आ रही है। गणेश गोदियाल पहले दिन से ही चुनाव मैदान में डटे हुए हैं। चुनाव की घोषणा से पहले ही गोदियाल क्षेत्र में जनसंपर्क कर रहे थे। जैसे-जैसे चुनाव ने जोर पकड़ा कांग्रेस के बड़े नेताओं ने केदारनाथ विधानसभा में मोर्चा संभालना शुरू कर दिया। हालांकि, बाजी कौन मारता है, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।

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