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इधर मोदी-पुतिन और चिनफिंग की मुलाकात, उधर अमेरिका को याद आई दोस्ती

इधर मोदी-पुतिन और चिनफिंग की मुलाकात, उधर अमेरिका को याद आई दोस्ती

चीन के तियानजिन शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन ने वैश्विक मंच पर सुर्खियां बटोरीं। इस शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया। इस महत्वपूर्ण कूटनीतिक मुलाकात के बीच भारत में अमेरिकी दूतावास ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती पर जोर दिया, जिसकी टाइमिंग ने कई सवाल खड़े किए हैं।

अमेरिकी दूतावास की पोस्ट ने बढ़ाया सियासी पारा

सोमवार, 1 सितंबर 2025 को भारत में अमेरिकी दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी को “21वीं सदी का निर्णायक रिश्ता” करार दिया गया। पोस्ट में कहा गया, “संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत की साझेदारी नई ऊंचाइयों को छू रही है। दोनों देशों के लोगों के बीच स्थायी दोस्ती इस रिश्ते को नई ऊर्जा दे रही है।” इस पोस्ट के साथ अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो का बयान भी शामिल था, जिसमें उन्होंने कहा, “भारत और अमेरिका के बीच गहरी दोस्ती हमारे संबंधों की नींव है।

पोस्ट की टाइमिंग क्यों है अहम?

इस पोस्ट की टाइमिंग को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह ठीक उस समय आई जब तियानजिन में SCO शिखर सम्मेलन में भारत, रूस और चीन के नेता एक मंच पर जुटे थे। इस मुलाकात में आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। विशेष रूप से, भारत ने सीमा पार आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा ने भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा किया है। ऐसे में अमेरिकी दूतावास की यह पोस्ट भारत को अपने साथ बनाए रखने की रणनीतिक कोशिश के तौर पर देखी जा रही है।

SCO शिखर सम्मेलन और भारत की रणनीति

SCO शिखर सम्मेलन में भारत ने अपनी रणनीतिक स्वायत्तता का प्रदर्शन किया। पीएम मोदी ने रूस और चीन के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें भारत-चीन सीमा विवाद पर समझौता और कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली जैसे कदम शामिल हैं। यह शिखर सम्मेलन रूस और चीन के नेतृत्व में पश्चिमी प्रभाव को संतुलित करने का एक मंच माना जाता है, और भारत की सक्रिय भागीदारी ने वैश्विक शक्ति संतुलन में उसकी बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया।

अमेरिका की नजर SCO पर

अमेरिकी दूतावास की पोस्ट से साफ है कि अमेरिका SCO शिखर सम्मेलन और भारत की कूटनीतिक गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह पोस्ट भारत को यह संदेश देने की कोशिश है कि ट्रंप प्रशासन के टैरिफ जैसे कदमों के बावजूद, भारत-अमेरिका साझेदारी मजबूत बनी रहेगी। यह कदम भारत को पश्चिमी गठबंधनों से दूर होने से रोकने और SCO जैसे मंचों पर रूस-चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

वैश्विक कूटनीति में भारत की भूमिका

तियानजिन में SCO शिखर सम्मेलन ने वैश्विक कूटनीति में भारत की बढ़ती भूमिका को उजागर किया है। इस बीच, अमेरिकी दूतावास की पोस्ट ने भारत-अमेरिका संबंधों की अहमियत को दोहराया है, लेकिन इसकी टाइमिंग ने यह सवाल उठाया है कि क्या यह भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता के बीच पश्चिमी गठबंधन में बनाए रखने की कोशिश है। जैसे-जैसे वैश्विक भू-राजनीति में बदलाव हो रहे हैं, भारत की कूटनीतिक चालें और अमेरिका की प्रतिक्रियाएं वैश्विक मंच पर चर्चा का विषय बनी रहेंगी।

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