देहरादून: शिक्षा विभाग अपने कारनामों से अक्सर चर्चाओं में रहता है। कई बार अधिकारियों के आदेशों के कारण शिक्षकों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। हालांकि, यह नया केस नहीं है, लेकिन अब इस मामले में शिक्षकों को दिए गए वेतन में से कुछ रकम रिकवरी की जाएगी।

50 हजार से लेकर सात लाख रुपये तक की रिकवरी

प्रमोशन और चयन वेतनमान के जरिए 4600 ग्रेड पे तक पहुंचे। लेकिन, शिक्षकों को दिए गए वेतनमान को अब शिक्षा विभाग गलत करार दिया है। सवाल यह है कि जिन अफसरों ने यह गलती की है, उनको क्यों सजा नहीं दी गई। यह मामला हाई कोर्ट भी गया। बेसिक शिक्षा निदेशक वंदना गर्ब्याल ने हाई कोर्ट के आदेश पर विभिन्न रिटों की सुनवाई करते हुए रिकवरी के आदेश किए हैं। शिक्षकों पर इस अवधि की 50 हजार से लेकर सात लाख रुपये तक की रिकवरी आ रही है। विभाग के फैसलों से परेशान शिक्षकों का कहना है कि उन्हें लाभ सरकार और विभाग के फैसलों के अनुसार ही दिया गया है। यदि वो वेतनमान के पात्र नहीं थे तो पहले दिया ही क्यों गया?

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यह है मामला

बेसिक-जूनियर शिक्षकों के बीच यह विवाद 17140 रुपये वेतन के विवाद के नाम से चर्चित है। वर्ष 2009 में सीधी भर्ती व प्रमोशन-चयन वेतनमान वाले शिक्षकों को ज्यादातर ब्लॉक में समान रूप से 17140 रुपये के वेतन का लाभ दे दिया गया था। 2018 को जीओ जारी कर वर्ष 2006 से 27 दिसंबर 2018 तक कको नोशनल करार दिया।

वेतनमान संशोधन में सुधार

बेसिक शिक्षा निदेशक के आदेश के आधार पर वित्त नियंत्रक मोहम्मद गुलफाम अहमद ने सभी सीईओ और जिला वित्त अधिकारियों को शिक्षकों के वेतनमान को नए सिरे से संशोधित करने के निर्देश दिए। इस आदेश के साथ उन्होंने निदेशक के आदेश को भी भी भेजा है, जिसमें अधिक भुगतान की रिकवरी के लिए कहा गया है।