
उत्तराखंड में कैबिनेट विस्तार की सुगबुगाहट तेज, दिल्ली पहुंचे मुख्यमंत्री धामी, विधायकों का भी डेरा!
देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति में कैबिनेट विस्तार और फेरबदल को लेकर चल रही अटकलों के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मंगलवार को दोपहर दिल्ली पहुंचे। इसके साथ ही राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र भी अब दिल्ली बन गया है। राज्य में रिक्त पांच मंत्री पदों को लेकर भाजपा विधायकों में जबरदस्त लॉबिंग चल रही है। करीब एक दर्जन विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और अपने संपर्कों के सहारे मंत्री पद की दावेदारी मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात का समय मांगा है, और यह भेंट मंगलवार देर रात या बुधवार को हो सकती है। इस मुलाकात में मंत्रिमंडल विस्तार को हरी झंडी मिलने की संभावना जताई जा रही है। इस दौरान यह भी तय होगा कि किन विधायकों को मंत्री पद मिलेगा।
मंत्रिमंडल विस्तार क्यों ज़रूरी?
1. पांच मंत्री पद रिक्त: उत्तराखंड मंत्रिमंडल में फिलहाल पांच मंत्री पद खाली हैं, जिससे सरकार के कामकाज में व्यावहारिक दिक्कतें आ रही हैं।
2. प्रेम चंद अग्रवाल की बर्खास्तगी: बजट सत्र के दौरान विवादित टिप्पणी के कारण मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल को हटाया गया, जिसके बाद से विस्तार की अटकलें तेज हो गई थीं।
3. राजनीतिक समीकरण: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट पहले ही संकेत दे चुके हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार जल्द होगा, और पार्टी इसके लिए सही समय देख रही थी।
दिल्ली में विधायकों की सक्रियता, मंत्री पद की दौड़ में कौन आगे?
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली में देहरादून से दो, हरिद्वार से तीन और कुमाऊं क्षेत्र से कुछ विधायक डटे हुए हैं। पार्टी के 12 विधायकों के नाम छांटे गए हैं, जिनमें से तीन से पांच को मंत्री पद मिल सकता है।
प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और भाजपा प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम भी दिल्ली में हैं, जिससे स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व जल्द कोई बड़ा निर्णय लेने वाला है। भाजपा के अंदरखाने में जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को लेकर मंथन चल रहा है, ताकि आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए हर वर्ग को संतुष्ट किया जा सके।
राजनीतिक विश्लेषण: भाजपा के लिए चुनौती और संतुलन साधने की रणनीति
उत्तराखंड में भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मंत्रिमंडल विस्तार में किन्हें जगह दी जाए और किन्हें संतुलन साधने के लिए नजरअंदाज किया जाए।
1. क्षेत्रीय संतुलन: गढ़वाल और कुमाऊं के बीच संतुलन रखना भाजपा की प्राथमिकता होगी।
2. जातिगत समीकरण: पार्टी यह भी देखेगी कि ब्रह्मण, राजपूत, ओबीसी और दलित समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व मिले।
3. अनुभवी बनाम युवा चेहरे: भाजपा युवा चेहरों को प्रमोट करना चाहती है, लेकिन अनुभवी विधायकों को भी नजरअंदाज नहीं कर सकती।
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव और 2027 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए फैसले लेगी। ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार सिर्फ एक औपचारिक निर्णय नहीं, बल्कि भविष्य की रणनीति का हिस्सा भी होगी।
अमित शाह से मिल सकते हैं मुख्यमंत्री धामी, जल्द लौटेंगे देहरादून
सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री मंगलवार रात एक वैवाहिक समारोह में शामिल हुए, इसलिए अधिक संभावना यही है कि बुधवार को वह केंद्रीय नेताओं से भेंट करेंगे। यदि सब कुछ तय हो जाता है तो मुख्यमंत्री बुधवार देर शाम या गुरुवार तक देहरादून वापस लौट सकते हैं, जिसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार की आधिकारिक घोषणा हो सकती है। अब सबकी नजरें दिल्ली पर टिकी हैं कि भाजपा हाईकमान उत्तराखंड में राजनीतिक संतुलन साधते हुए किन चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल करता है।