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उत्तराखंड: जोशीमठ को लेकर बड़ा बयान: हिन्दू-मुस्लिम एंगल नहीं, इसलिए सब चुप

कोटद्वार: उत्तराखंड विकास पार्टी ने जोशीमठ में लगातार हो रहे भू धंसाव को देखते हुए वहां बन रही जल विद्युत परियोजनाओं के पुनः समीक्षा की मांग की है। पार्टी अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने कहा कि जोशीमठ शहर के समस्त भवनों के बीमा करण के लिए 2010 में जल विद्युत कंपनी के साथ जो समझौता हुआ था उसे लागू किया जाय।

उन्होंने कहा कि जल विद्युत परियोजनाएं पहाड़ के लिए सर दर्द ही हैं। मगर हमारे नेताओं में इतना दम नहीं कि वह ऐसी जलविद्युत परियोजनाओं को बंद करने हेतु उचित कदम उठाएं। इसीलिए समय-समय पर आ रही आपदाओं में जल विद्युत परियोजनाओं को भारी क्षति हो रही है।

मुजीब ने कहा कि पहाड़ वासियों की कीमत पर जल विद्युत परियोजनाओं को बनने दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। आज पूरे जोशीमठ में दरारें आने शुरू हो गई हैं, जो कि जल विद्युत कंपनियों द्वारा बनाई जा रही सुरंगों के कारण हैं, आज स्थिति यह है कि एक छोटा सा भूकंप आज पूरे जोशीमठ को जमींदोज कर सकता है, मगर भाजपा सरकार सुनने को राजी नहीं है।

उन्होंने कहा कि या हजारों गढ़वालियों की जिंदगी से जुड़ा हुआ मुद्दा है। इसमें हिंदू-मुस्लिम एंगल नहीं है, इसलिए सोशल मीडिया पर भी लोग खामोश हैं। उन्होंने कहा कि इस बात का हमें अफसोस रहेगा कि हिंदू मुस्लिम जैसे साम्प्रदायिक मुद्दों की वजह से हमारी जिंदगी के मुद्दे भाजपा सरकार की नजर में गौण होते जा रहे हैं।

पांच सौ से ज्यादा भवनों में दरारें पड़ने से लोग भयभीत

जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव को लेकर सरकार गंभीर हो गई है। क्षेत्र की सर्वेक्षण रिपोर्ट मिलने के बाद अब जोशीमठ के ड्रेनेज सिस्टम पर ध्यान केंद्रित किया गया है। शासन ने सिंचाई विभाग को शीघ्र ही यहां का ड्रेनेज प्लान व इसकी डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार करने के निर्देश दिए हैं। यही नहीं, जोशीमठ के सीवर सिस्टम से जुड़े कार्यों को जल्द पूर्ण कराकर सभी घरों को सीवर लाइन से जोड़ने के निर्देश संबंधित विभाग को दिए गए हैं।

जोशीमठ शहर लंबे समय से भू-धंसाव की जद में है। इसके चलते पांच सौ से ज्यादा भवनों में दरारें पड़ने से लोग भयभीत हैं। 10 से ज्यादा भवन स्वामियों के अपने घर छोड़कर अन्यत्र जाने की बात भी सामने आई है। दैनिक जागरण इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाता रहा है। जोशीमठ पर मंडराते इस खतरे को देखते हुए सरकार भी गंभीर हुई है।

ज्योतिर्मठ पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को लिखा पत्र

चमोली:ज्योतिर्मठ पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को पत्र लिखकर जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव की समस्या समाधान का अनुरोध किया है। अपने पत्र में उन्होंने लिखाा है कि ज्योतिर्मठ आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में से एक प्रमुख मठ है। यह धार्मिक स्थल आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी स्थल होने के साथ ही देश के चार धाम में प्रमुख बद्रीनाथ धाम का मुख्य आधारस्थल भी है। इसी स्थान पर आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित पौराणिक नृसिंह मन्दिर है, जो करोड़ों हिन्दू धर्मावलम्बियों की आस्था का केंद्र है।

उन्होंने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतिर्मठ (वर्तमान नाम जोशीमठ) के कई क्षेत्र में निरन्तर भू-धंसाव की समस्या आरम्भ हो गयी है। इसके कारण दर्जनों आवासीय भवन क्षतियस्त हो गए हैं और नगर क्षेत्र में रह रहे लोगों का जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। यह सम्पूर्ण क्षेत्र भूकम्प की दृष्टि से भी जोन-5 के अन्तर्गत आता है और अतिसंवेदनशील है।

वर्तमान में इस धार्मिक नगर में 20,000 से अधिक लोग निवास करते हैं। इस स्थान पर अनेक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी अवस्थित हैं। नगर के अन्तर्गत सभी आवासीय भवनों का सर्वेक्षण कराया जाने के साथ ही प्रभावित लोगों को अभिलम्ब आवासीय सुविधा प्रदान कराया जाना अति आवश्यक है। उन्होंने राष्ट्रपति से इस मामले में अपने स्तर से कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

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