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बड़ी खबर: विनोद डोभाल के स्टोन क्रशर पर प्रशासन का शिकंजा, ₹17.34 लाख का जुर्माना

बड़ी खबर: विनोद डोभाल के स्टोन क्रशर पर प्रशासन का शिकंजा, ₹17.34 लाख का जुर्माना

उत्तरकाशी:  उत्तरकाशी प्रशासन ने अवैध खनन पर बड़ी कार्रवाई करते हुए बड़कोट के पालिकाध्यक्ष विनोद डोभाल (कुतरू) से जुड़े अनंतराज स्टोन क्रशर को सीज कर ₹17,34,390 का भारी जुर्माना ठोक दिया है। यह कार्रवाई उपजिलाधिकारी बड़कोट बृजेश कुमार तिवारी के नेतृत्व में राजस्व व खनन विभाग की संयुक्त टीम द्वारा की गई।

कैसे पकड़ा गया अवैध खनन?

25 फरवरी की रात, प्रशासन को अवैध खनन की गोपनीय सूचना मिली थी। इसके बाद पुलिस और प्रशासन की टीम ने गश्त बढ़ाई, जिससे इस धंधे की पुष्टि हुई।

27 फरवरी को अचानक निरीक्षण किया गया, जिसमें सामने आया कि –

  • यमुना नदी तक अवैध रास्ता बनाया गया था।
  • नदी से उपखनिज निकालकर क्रशर तक लाने के ठोस सबूत मिले।
  • मशीनों के चेन और टायरों के निशान साफ दिखे।
  • क्रशर परिसर में ताजा कच्चा उपखनिज (RBM) जमा था।
  • ई-रवन्ना पोर्टल पर दर्ज मात्रा से अधिक अवैध खनिज पाया गया।

बड़ी कार्रवाई, क्रशर सीज और जुर्माना

जांच में स्टोन क्रशर नियमावली और अवैध खनन, परिवहन व भंडारण निवारण नियमावली 2021 (संशोधित 2024) का उल्लंघन पाया गया। इस पर प्रशासन ने –

  • अनंतराज स्टोन क्रशर प्लांट को सीज कर दिया।
  • ई-रवन्ना पोर्टल अग्रिम आदेशों तक बंद कर दिया गया।
  • ₹17,34,390 का भारी जुर्माना आरोपित किया।

विनोद डोभाल पहले से ही जेल में!

यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई जब बड़कोट के पालिकाध्यक्ष विनोद डोभाल (कुतरू) पहले से ही हत्या के प्रयास के आरोप में जेल में बंद हैं। आरोप है कि उन्होंने एक स्थानीय युवक को कुचलने की कोशिश की थी, जो उनके अवैध खनन रैकेट का खुलासा कर रहा था।

खनन, माफिया और राजनीति का गठजोड़

यह मामला सिर्फ अवैध खनन तक सीमित नहीं है। विनोद डोभाल का नाम पहले भी नकल माफिया हाकम सिंह से जुड़ चुका है। जब हाकम सिंह के रिजॉर्ट पर बुलडोजर चला, तब भी डोभाल वहां मौजूद थे। अब स्टोन क्रशर पर हुई इस कार्रवाई से यह साफ है कि सत्ता, खनन और माफिया का यह गठजोड़ लंबे समय से फल-फूल रहा था।

बड़कोट किस दिशा में?

बड़कोट में अब विकास के नाम पर सड़कें, स्कूल या अस्पताल नहीं, बल्कि खनन माफिया का साम्राज्य खड़ा हो गया है। यहां राजनीति अब शराब, रेत और बजरी के मुफ्त वितरण तक सिमट गई है। चुनावी मौसम में यह “सेवा” और तेज हो जाती है क्योंकि यहां वोट नहीं, वजन तौला जाता है – पैसा, शराब और पत्थरों के कट्टों में!

अब सबसे बड़ा सवाल – क्या यह कार्रवाई सिर्फ दिखावा है, या सच में खनन माफिया पर शिकंजा कसा जाएगा? जनता जवाब चाहती है, लेकिन खनन से कमाई, कमाई से सत्ता, सत्ता से संरक्षण और संरक्षण से और खनन का यह खेल जारी है… यमुना के साथ नीचे… बहुत नीचे!

 

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