
मनरेगा की जगह नया विधेयक: प्रियंका गांधी ने लोकसभा में जताई कड़ी आपत्ति
नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को निरस्त कर नए विधेयक ‘विकसित भारत – रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) विधेयक 2025’ (VB-G RAM G) लाने के सरकार के प्रस्ताव पर विपक्ष ने तीव्र विरोध दर्ज किया है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा में इस विधेयक की कड़ी आलोचना करते हुए इसे ग्रामीण भारत के लिए हानिकारक बताया।
प्रियंका गांधी ने कहा कि मनरेगा पिछले 20 वर्षों से ग्रामीण भारत को रोजगार प्रदान करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह एक क्रांतिकारी कानून है, जिसे बनाने के समय सदन में सभी दलों ने सर्वसम्मति से समर्थन दिया था। इसके तहत गरीबों को 100 दिनों का गारंटीड रोजगार मिलता है।
उन्होंने नए विधेयक पर आपत्ति जताते हुए कहा कि मनरेगा में मांग के आधार पर केंद्र सरकार फंड आवंटित करती है, जो कानूनी गारंटी प्रदान करता है। लेकिन नए विधेयक में केंद्र पहले से बजट तय कर सकता है, जिससे संविधान के 73वें संशोधन (पंचायती राज व्यवस्था) की अनदेखी हो रही है। इससे ग्राम सभाओं के अधिकार कमजोर होंगे और संविधान की मूल भावना – हर व्यक्ति को शक्ति देने की – का उल्लंघन होगा। रोजगार का कानूनी अधिकार कमजोर पड़ जाएगा।
प्रियंका ने आगे कहा कि मनरेगा में केंद्र सरकार 90 प्रतिशत अनुदान देती थी, लेकिन नए विधेयक में कुछ राज्यों को केवल 60 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। इससे राज्यों की अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। केंद्र का नियंत्रण बढ़ेगा, जबकि जिम्मेदारी कम हो जाएगी। विपक्ष का आरोप है कि यह विधेयक मनरेगा की अधिकार-आधारित संरचना को कमजोर करेगा और ग्रामीण गरीबों के हितों को नुकसान पहुंचाएगा। संसद में इस मुद्दे पर तीखी बहस जारी है।

