Trending News

कब खुलेगा यमुनोत्री हाईवे, खच्चरों के सहारे ग्रामीणों की जिंदगी

कब खुलेगा यमुनोत्री हाईवे, खच्चरों के सहारे ग्रामीणों की जिंदगी

यमुनोत्री हाईवे पर जंगलचट्टी और बनास के पास पिछले 19 दिनों से रुकावट बनी हुई है, जिससे क्षेत्र के लोगों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। हाईवे बंद होने से यमुनोत्री धाम और आसपास के आधा दर्जन गांवों-कस्बों के निवासियों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। खासकर खरसाली गांव के लोग खच्चरों के सहारे ही अपनी जरूरतों को पूरा करने को मजबूर हैं, जबकि बच्चों की शिक्षा भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

ग्रामीणों की बढ़ती मुश्किलें

हाईवे बंद होने से खरसाली गांव तक 82 रसोई गैस सिलिंडर और 34 पैकेट रसद सामग्री खच्चरों के जरिए पहुंचाई गई है। बनास गांव के लोगों को हनुमानचट्टी में 109 रसद पैकेट वितरित किए गए, लेकिन यह अस्थायी राहत से ज्यादा कुछ नहीं है। स्थानीय निवासी सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कब तक उनकी जिंदगी जानवरों के भरोसे चलेगी। बच्चों की स्थिति और भी चिंताजनक है—सड़क बंद होने से कई स्कूल नहीं जा पा रहे, और जो जा रहे हैं, वे अपनी जान जोखिम में डालकर जा रहे हैं।

हाईवे बहाली में देरी

हालांकि, बृहस्पतिवार को एनएच ने हनुमानचट्टी के पास ऊंची पहाड़ी से लटके बोल्डर और पत्थर हटाकर वहां आवाजाही शुरू की, लेकिन जंगलचट्टी और बनास के पास की बड़ी-बड़ी चट्टानों ने चुनौती पेश की है। एनएच के कार्यकारी अभियंता मनोज रावत ने बताया कि बनास क्षेत्र में बड़ी चट्टानों के कारण काम में देरी हो रही थी, लेकिन शुक्रवार तक पोकलेन और चट्टान तोड़ने वाली कम्प्रेशर मशीनें वहां पहुंच रही हैं। उनका दावा है कि शुक्रवार शाम तक हाईवे को सुचारू करने का प्रयास जारी है, लेकिन ग्रामीणों में इस पर भरोसा कम है।

रसद वितरण का प्रयास

क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी पीड़ी सौंदाण ने बताया कि हनुमानचट्टी से खच्चरों के जरिए खरसाली के लिए 82 गैस सिलिंडर और 34 रसद पैकेट भेजे गए हैं। बनास गांव के लिए 109 रसद पैकेट वितरित किए गए, जबकि नारायणपुरी के लिए शुक्रवार को रसद भेजने की योजना है। फिर भी, यह व्यवस्था लंबे समय तक टिकाऊ नहीं लग रही, और लोगों में असंतोष गहराता जा रहा है।

रोजमर्रा की जिंदगी को ठप

ग्रामीणों का कहना है कि हाईवे बंदी ने उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को ठप कर दिया है। बच्चों की शिक्षा, रसद की आपूर्ति और आपात स्थिति में मदद तक प्रभावित हो रही है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस संकट को गंभीरता से लेगा, या लोग अपनी मुश्किलों के साथ ही जीने को मजबूर रहेंगे?

CATEGORIES
Share ThisFacebook, whatsapp, teligram

COMMENTS

Wordpress (0)
Disqus ( )