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उत्तराखंड : CM धामी की सुरक्षा में चूक, उस जिप्सी में कराई सफारी, जिसकी 5 साल पहले ख़त्म हो चुकी फिटनेस

उत्तराखंड : CM धामी की सुरक्षा में चूक, उस जिप्सी में कराई सफारी, जिसकी 5 साल पहले ख़त्म हो चुकी फिटनेस

देहरादून : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर चूक सामने आई है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 6 जुलाई को हुए भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री को जिस जिप्सी में सैर कराई गई, उसकी फिटनेस 5 साल पहले ही खत्म हो चुकी थी। मामले का खुलासा होते ही मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर वन विभाग तक हड़कंप मच गया है। प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।

वन विभाग के प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) ने बताया कि इस मामले की जांच पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ रंजन कुमार मिश्रा को सौंपी गई है। वे कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक द्वारा सीएम को कराई गई सफारी में इस्तेमाल की गई जिप्सी की स्थिति, नियमों के उल्लंघन और सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जांच करेंगे। मिश्रा अपनी रिपोर्ट जल्द उच्च अधिकारियों को सौंपेंगे।

5 साल पहले खत्म हो चुकी थी फिटनेस

मामला 6 जुलाई, रविवार का है, जब मुख्यमंत्री धामी नैनीताल जनपद स्थित कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के भ्रमण पर थे। उनके साथ पार्क निदेशक साकेत बडोला भी उसी जिप्सी में मौजूद थे। लेकिन जांच में सामने आया कि जिस जिप्सी में मुख्यमंत्री सवार थे, उसकी फिटनेस 22 अगस्त 2020 को ही समाप्त हो चुकी थी। यानी एक उच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को नियमों को ताक पर रखकर एक अवैध और असुरक्षित वाहन में जंगल सफारी कराई गई।

मंत्री भी मान चुके हैं गलती

वन एवं पर्यावरण मंत्री सुबोध उनियाल स्वयं इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि जिप्सी की फिटनेस समय पर न कराना विभाग की गलती थी। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि अब जबकि विभाग गलती स्वीकार चुका है, तो जांच का दायरा क्या होगा? क्या कार्रवाई महज खानापूर्ति बनकर रह जाएगी, या जिम्मेदार अफसरों पर भी गाज गिरेगी?

पिछले मामलों में भी जांचें बनीं औपचारिकता

इससे पहले राजाजी टाइगर रिजर्व में हुई एक दुर्घटना में 6 लोगों की मौत के बाद भी विभाग जांच के नाम पर डेढ़ साल से अधिक का वक्त निकाल चुका है। वहां भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब कॉर्बेट प्रकरण में भी क्या यही दोहराव होगा?

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