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गैरसैंण में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी संपन्न, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मानवीय मूल्यों पर हुआ जोर

गैरसैण (चमोली) स्थित श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम में ‘बाल प्रहरी’ पत्रिका एवं आश्रम के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का केंद्रीय विषय ‘बाल साहित्य में वैज्ञानिक दृष्टिकोण’ रहा, जिसमें देशभर से आए वरिष्ठ बाल साहित्यकारों, शिक्षाविदों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की।

वैज्ञानिक सोच की जरूरत पर दिया जोर
बरेली से आए वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य देवेंद्र देव ने कहा कि आज के वैज्ञानिक युग में भी हम रूढ़ियों से घिरे हैं। बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने की ज़रूरत है ताकि वे ‘क्या’, ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों से जिज्ञासु बनें। वहीं मुरादाबाद के डॉ. राकेश चक्र ने बाल साहित्य लेखन में बच्चों की मानसिकता और उनकी भाषा की समझ की आवश्यकता बताई। अजमेर से आईं डॉ. चेतना उपाध्याय ने कल्पना और यथार्थ के संतुलन की बात कही।

विज्ञान को जीवन से जोड़ने की पहल
भारत ज्ञान विज्ञान समिति, झारखंड के हेमंत जायसवाल ने कहा कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है—हम अपने घरों में ही कई वैज्ञानिक प्रयोग करते हैं, जिन्हें समझने और बच्चों को समझाने की ज़रूरत है। दिल्ली की डॉ. रश्मि अग्रवाल ने बच्चों की जिज्ञासा को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों और लेखकों को स्वयं को अपडेट करने की सलाह दी।

साहित्य और मूल्य शिक्षा का संगम
संगोष्ठी के दूसरे सत्र ‘बाल साहित्य और बच्चे’ की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार रमेशचंद्र पंत ने कहा कि बच्चों में मानवीय मूल्यों को जागृत करना आवश्यक है और इसमें बाल साहित्य की अहम भूमिका है।

विशेष पुस्तक लोकार्पण एवं सम्मान
इस मौके पर एक दर्जन से अधिक बाल साहित्य पुस्तकों का लोकार्पण किया गया, जिनमें आचार्य देवेंद्र देव की भालू राम चले ससुराल, डॉ. मंजू पांडे उदिता की दशा दिशा और दृष्टि, डॉ. आर.पी. सारस्वत की चिपकू चूहा, कवयित्री इशरत सुल्ताना की मासूम बचपन, सतीश डिमरी की नन्हीं कहानियाँ, और डॉ. दीपा कांडपाल का कुमायूंनी अनुवाद संग्रह प्रमुख रहे।

बच्चों का सम्मान और कवि सम्मेलन
संगोष्ठी के आरंभ में बच्चों द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया और बाल कवि सम्मेलन में भाग लेने वाले बच्चों को देशभर से आए साहित्यकारों ने बैज लगाकर सम्मानित किया। अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में डॉ. आर.पी. सारस्वत, डॉ. रंजना अग्रवाल, तूलिका सेठ, नीरज पंत, श्वेता मिश्रा, प्रकाशचंद्र पांडे, नकुल शर्मा उग्र, दुर्गेश्वर राय समेत अनेक रचनाकारों ने अपनी बाल रचनाएं प्रस्तुत कीं।

संगोष्ठी का संचालन डॉ. मंजू पांडे उदिता, डॉ. एम.एन. नौडियाल, और डॉ. इंदु गुप्ता ने किया, जबकि आयोजन की रूपरेखा और उद्देश्य पर गिरीश डिमरी और बाल प्रहरी के संपादक उदय किरौला ने प्रकाश डाला। यह संगोष्ठी न केवल बाल साहित्य के विविध पहलुओं पर मंथन का मंच बनी, बल्कि बच्चों के साहित्यिक विकास और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक सार्थक प्रयास भी साबित हुई।

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